बीएनएस की धारा 356 मानहानि (Defamation) के अपराध के बारे में बताती है। जिसमें किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा व सम्मान (Prestige & Honour) को हानि पहुंचाने वाले झूठे बयान दिए जाते हैं। मानहानि तब होती है जब किसी व्यक्ति के बारे में ऐसी गलत जानकारी फैलाई जाती है जो उसकी सामाजिक छवि (Social Image) को नुकसान पहुंचाती है।
मानहानि दो प्रकार की होती है:-
- परोक्ष निंदा (Indirect condemnation): जब किसी व्यक्ति के खिलाफ लिखित (Written) रूप में, चित्र, कार्टून बनाकर या किसी अन्य तरीके से झूठे और अपमानजनक बयान (false and defamatory statements) दिए जाते हैं। वह परोक्ष निंदा कहलाती है।
- प्रत्यक्ष निंदा (Direct condemnation): जब मौखिक (Verbal) रूप से यानी बोलकर किसी व्यक्ति के बारे में झूठे और अपमानजनक बयान दिए जाते हैं। यह आमतौर पर किसी सार्वजनिक स्थान (Public Places) पर या लोगों के सामने बोला जाता है, जिससे किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान होता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में मानहानि के अपराध को अलग-अलग तरीकों को 4 उपधाराओं (Sub-Sections) में विस्तार से बताया गया है। आइये उन सभी उपधाराओं को सरल भाषा में विस्तार से जानते है:-
बीएनएस धारा 356 (1):- इस उपधारा में इस अपराध की परिभाषा दी गई है। जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई ऐसा झूठा बयान (Statement) देता है जो उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाता है। ऐसा बयान जानबूझकर या किसी व्यक्ति से बदला लेने के लिए किया गया हो तो इसे मानहानि का अपराध माना जाएगा।
बीएनएस धारा 356 (2): इसमें धारा (1) में बताए गए मानहानि के अपराध के लिए दिए जाने वाले दंड के बारे में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुँचा कर मानहानि का अपराध करता है, तो उसे सजा (Punishment) के तौर पर साधारण कारावास (Simple Imprisonment), जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
बीएनएस सेक्शन 356 (3): यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई गलत जानकारी, गलत बयान या उसके खिलाफ कोई गलत लेख लिख कर उसकी प्रतिष्ठा(Prestige) को नुकसान पहुँचाएगा। उस व्यक्ति पर BNS 356(3) के तहत कार्यवाही की जाएगी।
उदाहरण: मान लीजिए सुरेश समाचार पत्र में अजय के बारे में झूठी खबर छापता है कि वह भ्रष्टाचार के अपराध में शामिल है, जबकि सुरेश को यह पता है कि यह जानकारी गलत है। लेकिन फिर भी वो इस झूठी खबर को छापकर अजय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है।
बीएनएस सेक्शन 356 (4):- अगर कोई व्यक्ति किसी किताब, अखबार, पत्रिका जैसी किसी सामग्री को बेचता है। जिसमें किसी व्यक्ति के सम्मान या प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली बाते लिखी हो। ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति पर BNS 356(4) के तहत कार्यवाही की जाएगी।
उदाहरण:- अगर सुरेश किसी किताब या अखबार में ऐसा लेख प्रकाशित करता है या बेचता है। जिसमें अजय की छवि खराब करने वाली बातें लिखी हों, तो उसे सजा दी जा सकती है।
ऐसे कार्य जिनको करना मानहानि के अपराध की धारा 356 के तहत दंडनीय माना जा सकता है
- किसी व्यक्ति के बारे में झूठी या अपमानजनक खबर छापना।
- सार्वजनिक तौर पर या मीडिया में किसी के खिलाफ गलत बयान देना।
- किसी व्यक्ति के बारे में अपमानजनक या गंदे चित्र छापना, जैसे कि किसी की छवि (Image) खराब करने वाला कार्टून बनाना।
- किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठी जानकारी वाला विज्ञापन (Advertisement) देना, जैसे कि किसी की ईमदारी पर सवाल उठाना।
- किसी व्यक्ति के बारे में अखबार, किताबों में गलत जानकारी वाले लेख (Article) छापना।
- सोशल मीडिया पर किसी के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट करना, जैसे कि किसी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली बातें शेयर करना।
- किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठे दस्तावेज (False Documents) बनाना और उन्हें सभी लोगों को दिखाना। जैसे किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठी रिपोर्ट तैयार करना।
- किसी के बारे में झूठी अफवाहे (Rumors) फैलाना।
- किसी पर झूठे आरोप (False Blames) लगाना या उसके खिलाफ गलत बयान देना।
मानहानि के जुर्म का सरल उदाहरण
सुमित और करिश्मा दोनों एक ही ऑफिस में काम करते हैं। एक दिन सुमित ने करिश्मा के खिलाफ ऑफिस में एक गलत अफवाह फैलानी शुरू कर दी कि करिश्मा कंपनी के पैसे चुरा रही है। सुमित ने इस अफवाह को ऑफिस के सभी कर्मचारियों और कुछ बाहरी लोगों के बीच फैला दिया। जिससे करिश्मा का सबके सामने बहुत ही अपमान हुआ। करिश्मा ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा की सुमित उसको बदनाम करने के लिए ऐसी बाते फैला रहा है। जिसके बाद करिश्मा ने सुमित के खिलाफ BNS Section 356 के तहत मानहानि का मुकदमा दायर किया।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में सजा – BNS Section 356 Punishment in Hindi
बीएनएस की धारा 356 के तहत मानहानि के अपराध में दी जाने वाली सजाओं को भी इसकी उपधाराओं (Sub-Sections) में बताए गए अपराधों की तरह ही अलग-अलग प्रकार से बताया गया है। जो कि प्रकार से है:-
- BNS 356(2) में सजा:- सेक्शन 356(2) के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति मानहानि के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाता है उसे सजा के तौर पर दो साल तक की जेल व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। इस धारा में यह भी प्रावधान (Provision) है कि आरोपी को जेल या जुर्माने के बजाय सामुदायिक सेवा (Community Service) के रूप में दंडित किया जा सकता है। इसमें अपराधी से समाज के लिए कुछ सेवा कार्य करवाए जा सकते हैं, जैसे कि सफाई, सामाजिक जागरूकता अभियान आदि।
- BNS 356 (3) में सजा:- जो भी व्यक्ति किसी लेख या चित्र के माध्यम से किसी गलत जानकारी को छापकर मानहानि का अपराध करता है, उसे 2 साल तक की कारावास व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
- BNS 356 (4) में सजा:- जो भी व्यक्ति किसी ऐसी पुस्तक, अखबार को बेचता है या प्रकाशित करता है, जिसमें किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली बात लिखी हो। ऐसे व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर एक अवधि की कारावास से लेकर 2 साल तक की कैद की सजा से दंडित किया जा सकता है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।