भारतीय न्याय संहिता की धारा 305 चोरी के अपराधों के बारे में बताती है, जो आवास, परिवहन के साधन या पूजा स्थल में चोरी जैसे अपराधों से संबंधित है। यह धारा उन मामलों को कवर करती है जहां चोरी किसी निजी स्थान या सार्वजनिक परिवहन (Public Transportation) में की जाती है।
आसान भाषा में समझे तो जो व्यक्ति इंसानों के रहने वाली जगहों, पुजा स्थानों व लोगों के घूमने फिरने के लिए बनाए गए परिवहन (Transportation) के साधनों में चोरी करता है, जैसे रेल, जहाज, बस आदि। ऐसे अपराध करने वाले व्यक्तियों पर बीएनएस की धारा 305 के अपराध का उल्लंघन (Violation) करने पर कार्यवाही की जाती है।
धारा 305 कब लागू होती है?
- ए) किसी भी इमारत, तंबू या जहाज में जो मानव आवास के लिए उपयोग किया जाता है या किसी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग होता है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति घर, ऑफिस, स्कूल, होटल, या किसी ऐसी जगह से चोरी करता है, जहां लोग रहते हैं, तो उस व्यक्ति पर इस धारा को लागू (Apply) कर कार्यवाही की जाती है।
- (बी) ऐसे वाहन से चोरी करने पर जो माल या यात्रियों (Cargo Or passengers) को ले जाने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि बस, ट्रक, ट्रेन, जहाज आदि।
- (सी) यदि कोई व्यक्ति किसी मालवाहक या यात्री वाहन से कुछ चुराता है, तो यह भी चोरी के अंतर्गत आता है।
- (डी) किसी पूजा स्थल से मूर्तियों या प्रतीकों (Idols Or symbols) की चोरी करना। जैसे कि मंदिर से भगवान की मूर्तियों की चोरी।
- (ई) सरकारी या स्थानीय प्राधिकरण (Govt. Or Local Authority) की संपत्ति से चोरी। उदाहरण के लिए, सरकारी कार्यालयों या स्थानीय निकायों की किसी भी प्रकार की संपत्ति की चोरी करना।
बीएनएस धारा 305 लगने के मुख्य बिंदु
- आरोपी का किसी संपत्ति को चुराने का इरादा (Intention) होना चाहिए।
- संपत्ति को बेईमानी (Dishonesty) से लिया गया होगा, यानी उस संपत्ति के मालिक की सहमति या अनुमति के बिना।
- चोरी की गई संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति की होनी चाहिए, न कि आरोपी (Accused) की।
- चोरी किसी आवासीय घर (Residential House) परिवहन के साधन या धारा में उपर बताई गई जगहों या स्थानों पर होनी चाहिए।
- धारा 305 के अनुसार दोषी व्यक्ति को जेल व जुर्माने (Prison & Fines) की सजा दी जा सकती है।
धारा 305 के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?
- किसी के घर में घुसकर नकदी, गहने या अन्य कीमती सामान चुरा लेना।
- किसी खड़ी गाड़ी से सामान चुराना जैसे कि मोबाइल, पर्स, या अन्य सामान।
- किसी दुकान या गोदाम में घुसकर सामान चुराना।
- मंदिर, मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थलों से मूर्तियाँ, धार्मिक ग्रंथ या अन्य धार्मिक वस्तुएँ चुराना।
- स्कूल या कॉलेज में से किताबें, लैपटॉप, या अन्य सामान चुराना।
- बस, ट्रेन व जहाज में यात्रा के दौरान अन्य यात्रियों के सामान चुराना।
- सरकारी कार्यालय से महत्वपूर्ण दस्तावेज (Important Documents) उपकरण या अन्य सामान चुराना।
बीएनएस सेक्शन 305 के अपराध का उदाहरण
नेहा एक दिन अपने पति के साथ एक लंबी ट्रेन यात्रा पर जा रही थी। ट्रेन में कुछ समय तक वह अपने पति से बात करती रही और फिर वे दोनों साथ में खाना खाने लग जाते है। कुछ ही समय बाद बगल वाली सीट पर एक व्यक्ति आकर बैठ जाता है। कुछ देर और यात्रा करने के बाद नेहा व उसके पति दोनों को नींद आ जाती है। इसी दौरान उनके बगल वाली सीट पर बैठा वो व्यक्ति नेहा के बैग से उसका मोबाइल फोन चुरा कर ले जाता है।
जब नेहा सो कर उठती है तो उसे अपना मोबाइल कही पर भी नहीं मिलता है। नेहा तुरन्त अपने पति को यह बात बताती है जिसके बाद उसका पति ट्रेन के टीटीई को इस घटना के बारे में बताता है और शिकायत दर्ज (Complaint Register) करवाता है। उस व्यक्ति ने एक चलती ट्रेन से चोरी की है, इसलिए इस मामले में BNS की धारा 305 लागू होगी।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 305 के तहत सजा
BNS Section 305 के अनुसार यदि किसी व्यक्ति पर परिवहन के साधनों, पुजा स्थानों व उपर बताई गई किसी भी जगह से चोरी करने का अपराध साबित हो जाने पर निम्नलिखित सजा का प्रावधान (Provision) है:-
- कैद: दोषी (Guilty) पाये जाने वाले व्यक्ति को न्यायालय द्वारा अधिकतम 7 साल की कैद की सजा दी जा सकती है।
- जुर्माना: इसके साथ ही उस व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है, जुर्माने की रकम (Amount) अदालत द्वारा अपराध की गंभीरता व चोरी की गई वस्तु के मूल्य के आधार पर भी निर्धारित की जा सकती है।