भारतीय न्याय संहिता की धारा 131 एक बहुत ही महत्वपूर्ण धारा है जो गंभीर उकसावे के बिना हमला या आपराधिक बल प्रयोग (Assault or use of criminal force without grave provocation) से संबंधित है। जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को बिना किसी गंभीर कारण के शारीरिक चोट पहुंचाता है या उसे डराता है, तो उस पर BNS 131 लागू कर कार्यवाही की जाती है।
सरल भाषा में इसका अर्थ है कि अगर कोई व्यक्ति बिना किसी खास वजह के जानबूझकर किसी पर हमला (Attack) करता है, उसे धक्का देता है, या डराने-धमकाने का प्रयास करता है, तो उस पर यह धारा लागू होगी।
BNS की धारा 131 के अपराध से जुड़े मुख्य बिंदु
- अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को बिना किसी बड़े कारण या उकसावे (Provocations) के मारता है, धक्का देता है, या किसी तरह से नुकसान पहुंचाता है, तो वह इस धारा के तहत दोषी पाया जा सकता है।
- सिर्फ मारना ही नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति को डराने या परेशान करने के लिए कोई भी ऐसा काम करना जो कानून के खिलाफ हो, आपराधिक बल (Criminal Force) का प्रयोग माना जाता है।
- इस अपराध के लिए जेल, जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
- अगर किसी व्यक्ति के साथ मारपीट करने या धक्का देने का कोई बड़ा कारण था, जैसे कि खुद को बचाने के लिए तो इस धारा के तहत सजा कम हो सकती है।
बीएनएस सेक्शन 131 के अपराध का उदाहरण
सुनीता एक दुकान पर कुछ सामान खरीदने गई थी। उस समय दुकान पर काफी भीड़ थी और सुनीता को बहुत देर से अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा था। तभी एक राहुल नाम का लड़का अचानक वहाँ आता है और लाइन के बीच में घुसकर सुनीता से आगे खड़ा हो जाता है। सुनीता ने राहुल से कहा, “आपकी बारी नहीं थी, मैं यहाँ आपसे पहले से खड़ी हूँ।” यह बात सुनकर राहुल गुस्से में आ गया और उसने सुनीता को धक्का दे दिया।
इस मामले में राहुल ने बिना किसी बड़े कारण के सुनीता को धक्का दिया, जो कि BNS 131 के तहत एक अपराध है। इसलिए सुनीता राहुल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज (Complaint Register) करा सकती है।
BNS Section 131 के तहत अपराध माने जाने वाले कुछ मुख्य कार्य
धारा 131 के अंतर्गत ऐसे कई प्रकार के शारीरिक हमले शामिल होते हैं जो बिना गंभीर उकसावे के किए जाते हैं। आइये जानते है ऐसे ही कुछ कार्यों को:
- बिना कारण के किसी को जोर से धक्का देना।
- किसी व्यक्ति को लात मारना या उसके शरीर पर हमला करना।
- किसी के साथ हाथापाई करना, जैसे घूंसा मारना।
- किसी को मजबूती से पकड़ना और उसको कही आने जाने से रोकना।
- किसी को डराने या धमकाने के लिए शारीरिक बल का प्रयोग करना।
- झगड़े के दौरान किसी को कोई वस्तु (जैसे किताब, चप्पल) फेंकना या मारना।
- बिना उसकी अनुमति (Permission) के किसी का हाथ पकड़कर रखना।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 131 के कुछ महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण
जब कोई व्यक्ति बिना गंभीर उकसावे (Serious Provocations) के किसी अन्य व्यक्ति पर हमला करता है, तो यह BNS की धारा 131 के तहत अपराध होता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति यह दावा करता है कि हमला गंभीर और अचानक उकसावे (यानि किसी व्यक्ति को गुस्सा दिलाना जिससे वह व्यक्ति हमला करता है।) के कारण किया गया था तो यह भी विचार करने का विषय है कि क्या इस उकसावे का असर सजा (Punishment) को कम करने पर पड़ सकता है या नहीं? आइये इसे विस्तार से समझते है:-
- स्वेच्छा से उकसाया: यदि कोई व्यक्ति खुद ही उकसावे (गुस्सा दिलाने) की स्थिति पैदा करता है, जैसे जानबूझकर किसी को गुस्सा दिलाना, तो ऐसे कार्यों को सजा कम करने के लिए स्वीकार नहीं किया जाएगा।
- कानूनी कार्यवाही: अगर उकसावा किसी कानूनी कार्यवाही से उत्पन्न होता है, जैसे पुलिस का काम तो यह भी सजा कम करने के लिए आधार नहीं बनेगा।
- पारदर्शिता: अगर उकसावा निजी रक्षा (आत्मरक्षा) के तहत हुआ है, तो भी यह सजा कम करने का कारण नहीं बनेगा यदि हमला बहुत ज्यादा हो या जरूरत से ज्यादा हो।
- गंभीर उकसावा: अगर कोई अचानक आपको धक्का दे देता है या आपकी जान को खतरा उत्पन्न करता है, तो आप बदले में हमला कर सकते हैं। लेकिन आपको यह साबित करना होगा कि उकसावा इतना गंभीर था कि आपकी प्रतिक्रिया सही थी।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 131 के अपराध के दोषी व्यक्तियों को मिलने वाली सजा
बीएनएस सेक्शन 131 का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को न्यायालय द्वारा दोषी (Guilty) पाये जाने पर तीन महीने तक के साधारण कारावास (Simple Imprisonment) की सजा हो सकती है। इसके अलावा इस अपराध में आरोपी व्यक्ति पर आर्थिक दंड (Financial Penalty) भी लगाया जा सकता है, जिसमें 1000 रुपये तक का जुर्माना (Fine) शामिल है। न्यायालय की विवेकाधिकार के अनुसार इस अपराध में या तो कारावास या जुर्माना, या फिर दोनों ही प्रकार की सजा का प्रावधान हो सकता है। सजा की गंभीरता अपराध की परिस्थितियों और व्यक्ति के आचरण पर निर्भर करती है।