Friday, June 20, 2025

BNS Section 85 in Hindi – बीएनएस धारा 85 में सजा जमानत और बचाव

भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में कहा गया है कि “जो कोई भी व्यक्ति किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार होने के नाते, किसी भी महिला के साथ क्रूरता (Cruelty) करता है, उस व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 85 के तहत केस दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।

सरल शब्दों में कहे तो, यह धारा ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जिसमें किसी महिला का पति या उसके पति का कोई भी रिश्तेदार उस महिला पर क्रूरता (किसी को पीड़ा पहुंचाना) करता है। इसमें महिला को पहुँचाया गया शारीरिक और मानसिक नुकसान दोनों शामिल हैं। शारीरिक क्रूरता (Physical Cruelty) में ऐसे कार्य शामिल होते है, जो शारीरिक दर्द या चोट पहुँचाते हैं, जबकि मानसिक क्रूरता में उत्पीड़न, अपमान करना, धमकी देना, जैसे कई अन्य गलत व्यवहार शामिल है।

बीएनएस की धारा 85 के जुर्म की मुख्य बातें।

  • यह कानून उन महिलाओं की मदद करने के लिए बनाया गया है जिनके साथ उनके पति या उनके पति के किसी रिश्तेदार द्वारा बुरा व्यवहार किया जाता है।
  • इसमें ऐसी चीजें शामिल हैं जो किसी महिला के शरीर को चोट (Injury) पहुँचाती हैं, जैसे मारना या धक्का देना, लेकिन ऐसी चीजें भी शामिल हैं। जो उसे अंदर से बुरा महसूस कराती हैं, जैसे बुरा-भला कहना, धमकी देना या महिला को लगातार अपमानित करना।
  • अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ ऐसा कोई भी काम करता है, तो उस पर धारा 85 के उल्लंघन (Violation) करने के तहत जेल व जुर्माने की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
  • यह कानून यह सुनिश्चित करने के लिए है कि महिलाएँ अपने घरों में सुरक्षित महसूस करें और डरें नहीं। इसके साथ इस कानून का उद्देश्य होता है कि उन सभी महिलाओं को ऐसे अपराध होने पर समय पर न्याय (Justice) मिल सकें।

ऐसे कार्य जिनके करने पर BNS 85 के तहत कार्रवाई की जा सकती है

  • शारीरिक उत्पीड़न: इसमें मारना, पीटना, चोट पहुंचाना, या अन्य किसी प्रकार का शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाना शामिल है।
  • मानसिक उत्पीड़न: इसमें गाली देना, अपमान करना, धमकाना, डराना, मानसिक रूप से प्रताड़ित करना, या अन्य भावनात्मक (Emotional) रूप से प्रताड़ित करना शामिल है।
  • यौन उत्पीड़न: यौन उत्पीड़न, या यौन शोषण (Sexual Abuse) के किसी भी रूप को शामिल करना।
  • आर्थिक शोषण: अपनी पत्नी को धन, संपत्ति, या अन्य संसाधनों से वंचित करना।
  • सामाजिक बहिष्कार: अपनी पत्नी को परिवार, दोस्तों, या समाज से अलग कर देना, उन्हें किसी से भी मिलने या बात करने से रोकना।
  • घरेलू कामों में जबरदस्ती: इसमें किसी महिला ज्यादा से ज्यादा काम करने के लिए परेशान करना या अपमानजनक घरेलू काम करने के लिए मजबूर करना शामिल है।
  • संतान उत्पत्ति के लिए दबाव: एक पति द्वारा अपनी पत्नी की इच्छा ना होने पर भी एक या अधिक बच्चों को जन्म देने के लिए दबाव डालना।
  • दहेज उत्पीड़न: अपनी पत्नी से दहेज (Dowry) की मांग करना, दहेज के लिए प्रताड़ित करना, या दहेज के कारण नुकसान पहुंचाना शामिल है।
  • गैर-कानूनी तरीकों से पत्नी को घर से निकालना: किसी व्यक्ति के द्वारा पत्नी को घर से जबरदस्ती या अवैध (illegal) तरीके से निकालना।

इस धारा के जुर्म का उदाहरण

एक बार अनिता नाम की एक शादीशुदा महिला (Married Women) होती है, उसकी शादी को हुए कुछ ही महीने हुए थे। लेकिन अनिता को उसके पति व उसके पति के परिवार के द्वारा रोजाना परेशान किया जाता था। रोजाना वो लोग उसके साथ बहुत ही गलत व्यवहार करते थे, इसके साथ ही उसको अपने माता-पिता के घर से पैसे मंगवाने के लिए भी परेशान करते थे। अनिता को उसके ससुराल वाले ना किसी से मिलने देते, व अगर कोई मिलने आए तो सब के सामने उसका अपमान करते थे।

रोजाना होने वाले इस अत्याचार से परेशान होकर अनिता अपने पति व अपने पति के परिवार वालो की पुलिस में शिकायत दर्ज (Complaint Register) करवा देती है। जिसके बाद पुलिस उसके पति व उसके पति के परिवार के सदस्यों के खिलाफ BNS Section 85 के तहत कार्यवाही करती है।

बीएनएस धारा 85 में सज़ा – Punishment Of BNS Section 85 in Hindi

बीएनएस की धारा 85 में सजा (Punishment) के लिए बताया गया है, कि किसी महिला का पति या उसके पति के परिवार का कोई भी सदस्य उस महिला को किसी भी प्रकार से प्रताड़ित (Tortured) करने का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे ऐसा गंभीर अपराध करने के लिए 3 वर्ष तक की जेल की सजा व जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।

यदि पीड़ित महिला (Victim Women) के साथ इससे भी ज्यादा गंभीर कोई अपराध किया जाता है, तो ऐसे मामलों में अन्य आपराधिक धाराओं (Criminal Sections) के साथ सजा को बढ़ाया जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में जमानत कब व कैसे मिलती है

बीएनएस की धारा 85 महिलाओं के साथ क्रूरता के अपराध को बताने वाला एक गंभीर अपराध होता है, जिसे संज्ञेय अपराधों (Cognizable Offence) की श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब है कि पुलिस इस अपराध के आरोपी व्यक्ति (Accused Person) को बिना किसी वारंट या अनुमति के गिरफ्तार कर सकती है। परन्तु इस अपराध को जमानती (Bailable) रखा गया है। यानी इस अपराध का आरोपी व्यक्ति गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए आवेदन कर जमानत प्राप्त कर सकता है।

जमानत के लिए जानने योग्य कुछ बाते:-

किसी व्यक्ति को जमानत देनी है या नहीं इस पर न्यायालय का अंतिम निर्णय होता है। जिस के लिए कुछ बातों पर विचार किया जाता है।

  • क्रूरता के अधिक गंभीर कार्यों के कारण जमानत देने से इनकार किया जा सकता है।
  • यदि न्यायालय को लगता है कि आरोपी मुकदमे से पहले भाग सकता है, तो जमानत देने से इनकार किया जा सकता है।
  • ​​यदि अभियुक्त (Accused) द्वारा गवाहों (Witnesses) को बदलने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का शक होता है, तो जमानत देने से इनकार किया जा सकता है।
  • न्यायालय पीड़ित की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। यदि आरोपी व्यक्ति को रिहा करने से पीड़ित को खतरा हो, तो जमानत अस्वीकार की जा सकती है।

महिला के साथ क्रूरता की शिकायत कैसे करें

यदि किसी शादीशुदा महिला के साथ क्रूरता हुई है तो वो धारा 85 के तहत केस दर्ज करवा सकती है। आप नीचे दी गई बातों का पालन करके शिकायत दर्ज कर सकते हैं:-

  1. सबसे पहले अपने क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में घटना की रिपोर्ट दर्ज (FIR) कराएं।
  2. उस रिपोर्ट में आपको घटना की सारी जानकारी देनी चाहिए जिसमें तारीख, समय, स्थान, और आपके साथ क्या हुआ, यह सारी बाते शामिल करें।
  3. यदि आपके पास कोई सबूत है, जैसे कि चोट के निशान, चिकित्सा रिपोर्ट, या गवाहों के बयान, तो उन्हें भी पुलिस को सौंप दें।
  4. यदि आपके शरीर पर कोई चोट लगी है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर मेडिकल जांच करवाएं।
  5. इसके बाद डॉक्टर द्वारा दी गई मेडिकल रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई गई FIR का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगी।
  6. इसके बाद आगे की कार्यवाही के लिए किसी अच्छे वकील की सलाह ले जो आगे चलकर आपकी बहुत मदद करेगा।

BNS Section 85 लगने पर बचाव के कुछ उपाय

कभी-कभी कुछ मामले ऐसे भी देखे जाते है जिनमें कुछ महिलाओं के द्वारा इस प्रकार के कानूनों का गलत इस्तेमाल (झूठा केस) किया जाता है। जिसकी वजह से बेगुनाह (Innocent) लोगों पर कानूनी कार्यवाही की जाती है। इसलिए यदि आपने कोई अपराध नहीं किया है, तो आप अपने बचाव के लिए इन सभी उपायों का इस्तेमाल कर सकते है।

  1. मुकदमा दर्ज होने के बाद घबराएं नहीं और जल्दबाजी में कोई भी बयान न दें।
  2. इसके बाद सबसे पहले किसी अनुभवी वकील के पास जाए और उसको सारी बाते बताए।
  3. एक अनुभवी वकील आपकी कानूनी प्रक्रिया को समझने और आपके अधिकारों की रक्षा करने में मदद कर सकता है।
  4. आपके पास यदि कोई ऐसा सबूत है, जो आपको निर्दोष साबित कर सके। उस सबूत को संभाल कर रखे।
  5. यदि आपको गिरफ्तार किया गया है, तो जमानत के लिए जल्द से जल्द आवेदन करें। आपका वकील इस प्रक्रिया में आपकी सहायता कर सकता है।
  6. अदालत में सभी सुनवाईयों (Hearings) में उपस्थित रहें और अपने वकील के निर्देशों का पालन करें। अपनी बात स्पष्ट और ईमानदारी से रखें।
  7. यदि आपके पास कोई गवाह है जो गवाही दे सके कि आप निर्दोष है, तो अपने पक्ष में गवाह पेश करें।
  8. कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा रखे यदि आप सच में निर्दोष होगे तो आप पर दर्ज केस को खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन अगर आपने अपराध किया होगा तो न्यायालय द्वारा आपको सजा भी दी जाएगी। इसलिए धैर्य रखें और अपने वकील पर भरोसा रखें।

इसके अलावा भी बहुत से ऐसे कार्य हो सकते है जिनके द्वारा किसी महिला को प्रताड़ित किया जाता है। ऐसे अपराध करने वाले व्यक्तियों को सजा देने के लिए ही भारतीय न्याय संहिता (BNS) की ये धारा बनाई गई है।

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