Wednesday, June 18, 2025

BNS Section 82 in Hindi – दूसरी शादी की धारा में सजा, जमानत और बचाव

भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 द्विविवाह (Bigamy) के अपराध के बारे में बताती है। जो भी व्यक्ति अपने जीवनसाथी के जीवित रहते हुए, किसी अन्य व्यक्ति से विवाह करता है, यह धारा उस व्यक्ति पर लागू होती है। सरल भाषा में कहे तो, यदि कोई पुरुष या महिला पहले से विवाहित (Married) है और फिर भी किसी दूसरे पुरुष या महिला से शादी करता है, तो वह धारा 82 के अपराध का दोषी पाया जा सकता है।

BNS Section 82 के इस अपराध को 2 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा विस्तार से बताया गया है जो कि इस प्रकार है:-

  1. बीएनएस की धारा 82 (1):- यह धारा ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जो अपने जीवनसाथी के जीवित रहते हुए, व बिना उसे तलाक (Divorce) दिए दूसरा विवाह (Second Marriage) कर लेता है या लेती है। इस अपराध के दोषी पुरुष या महिला को जेल व जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है।
  2. बीएनएस की धारा 82 (2):- इस उपधारा के अनुसार यदि कोई किसी दूसरे व्यक्ति से विवाह करता है और उस विवाह से पहले किए गए विवाह की जानकारी को छुपाता है, तो उस व्यक्ति पर धारा 82(2) के तहत कार्यवाही की जाती है। इसमें दोषी (Guilty) साबित होने वाले व्यक्ति को 82(1) में दी गई सजा से अधिक सजा से दंडित किया जा सकता है। जिसके बारे में आगे विस्तार से जानेंगे।

उदाहरण:- राहुल ने अपनी पहली शादी की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी की, जिससे उसकी दूसरी पत्नी के साथ बाद में धोखा हुआ।

बीएनएस धारा 82 के महत्वपूर्ण बिंदु:-

  • आरोपी व्यक्ति की पहली शादी कानूनी और मान्य (Legal & Valid) होनी चाहिए और वह शादी अभी भी जारी होनी चाहिए।
  • आरोपी व्यक्ति ने पहली शादी के होते हुए दूसरी शादी की हो।
  • आरोपी ने दूसरी शादी करते समय अपने पहले विवाह की जानकारी को जानबूझकर (Intentionally) छिपाया हो।
  • पहले विवाह को छिपाने का उद्देश्य दूसरे व्यक्ति को धोखा देना हो।
  • अगर पहली शादी कानूनी रूप से खत्म हो गई है या पहली पत्नी/पति की मृत्यु हो चुकी है, तो धारा 82 लागू नहीं होती।

धारा 82 के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?

  • पहले से ही शादीशुदा होते हुए किसी दूसरे पुरुष या महिला से शादी कर लेना।
  • पहली पत्नी/पति के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करना।
  • पहली शादी को खत्म किए बिना दूसरी शादी करना यानी बिना तलाक दिए दूसरी शादी कर लेना।
  • जिससे दूसरी शादी की जा रही है उससे पहली शादी की जानकारी छिपाना भी एक अपराध है।
  • दूसरी शादी करते समय पहली शादी से जुड़े दस्तावेज (Documents) छिपाना।
  • दूसरी शादी में पहले विवाह के बारे में झूठे दस्तावेज (False Documents) पेश करना।
  • पहले विवाह के बच्चों की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी करना।

बीएनएस सेक्शन 82 के अपराध का उदाहरण

प्रतीक और सीमा की शादी बड़े धूमधाम से कई वर्षों पहले हुई थी। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे और खुशहाल जिंदगी जी रहे थे। लेकिन शादी के पांच साल बाद, कुछ कारणों से रमेश और सीमा के बीच दूरियां बढ़ने लग जाती है। कुछ समय बाद प्रतीक की मुलाकात नेहा नाम की एक लड़की से होती है।

नेहा रमेश को बहुत ही पसंद करने लगती है, और दोनों शादी करने का फैसला कर लेते है। लेकिन प्रतीक ने नेहा को यह नहीं बताया कि वह पहले से शादीशुदा है और उसकी पहली पत्नी सीमा अभी भी जीवित है। जिसके बाद नेहा बिना किसी जानकारी के प्रतीक से शादी कर लेती है।

कुछ महीनों बाद जब नेहा को प्रतीक की पहली शादी के बारे में पता चलता है तो वह बहुत दुखी और गुस्सा हो जाती है। उसने महसूस किया कि प्रतीक ने उसे धोखा दिया है। जिसके बाद नेहा प्रतीक की शिकायत पुलिस में कर देती है। पुलिस के द्वारा प्रतीक के खिलाफ पहली पत्नी के होते हुए शादी करने व शादी की जानकारी अपनी दूसरी पत्नी नेहा से छिपाने के जुर्म में BNS Section 82 (1) व (2) के तहत कार्यवाही की जाती है।

बीएनएस धारा 82 के तहत सजा – Punishment Under BNS Section 82 in Hindi

बीएनएस की धारा 82 के अंतर्गत पहले से ही शादीशुदा होते हुए दूसरी शादी करने व पहली शादी की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी करने के अपराध की सजा को अलग- अलग प्रकार से दो उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा ही बताया गया है, जो कि इस प्रकार है:-

  • BNS 82(1) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति अपनी पहली पत्नी या पति के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करता है, तो धारा 81(1) के तहत दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की जेल और जुर्माने (Imprisonment Or fine) की सजा हो सकती है।
  • BNS 82(2) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति दूसरी शादी करते समय अपनी पहली शादी की जानकारी जानबूझकर छिपाता है, तो इस धारा के तहत 10 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 82 में जमानत का प्रावधान

बीएनएस की धारा 82 के अनुसार दूसरा विवाह करने का अपराध गैर-संज्ञेय (Non-Cognizable) हैं। इसका अर्थ है कि पुलिस इन मामलों में बिना अदालत के आदेश या वारंट के सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती। है। इसके साथ ही धारा 82 जमानती (Bailable) हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति पर इस अपराध के तहत आरोप (Blame) लगाए जाते हैं, तो उसे अदालत में जमानत आसानी से मिल सकती है। लेकिन यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौते के योग्य (Compoundable) नहीं हैं। यानी, इन अपराधों में पीड़ित और आरोपी के बीच आपसी समझौता नहीं किया जा सकता है।

इस धारा के अपवाद व आरोपी व्यक्तियों के लिए कुछ जरुरी बचाव उपाय

  • यदि आरोपी साबित कर सके कि पहली शादी कानूनी रूप से अमान्य (Invalid) थी (जैसे, विवाह अवैध रीति-रिवाजों से हुआ था), तो इस से बचाव हो सकता है।
  • अगर आरोपी साबित कर सके कि दूसरी शादी से पहले उसकी पहली पत्नी या पति की मृत्यु (Death) हो चुकी थी, तो यह भी एक मजबूत बचाव हो सकता है।
  • अगर आरोपी दिखा सके कि दूसरी शादी से पहले तलाक (Divorce) हो चुका था और पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त हो गई थी, तो इसे भी बचाव के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कुछ धर्मों में (जैसे इस्लाम), एक से अधिक शादी करने की अनुमति है। अगर आरोपी इस छूट के अंतर्गत आता है, तो यह भी बचाव हो सकता है।
  • अगर आरोपी साबित कर सके कि उसने दूसरी शादी से पहले अपने पहले विवाह के बारे में पूरी जानकारी दी थी और दूसरी पार्टी ने इसे स्वीकार किया था, तो यह एक मजबूत बचाव हो सकता है।
  • अगर यह साबित हो जाए कि जानकारी छिपाने का इरादा नहीं था, बल्कि यह एक अनजानी गलती थी।
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