आजकल यौन उत्पीड़न एक गंभीर अपराध व सामाजिक समस्या बनती जा रही है। हर दिन समाचारों में हम ऐसे मामले सुनाई देते हैं जहां महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। यह एक ऐसा अपराध है जो न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी पीड़ित को गहरा आघात पहुंचाता है। यौन उत्पीड़न के अपराध के बारे में समाज के हर सदस्य को जागरुक होना आवश्यक है, ताकि हम सभी मिलकर इस समस्या से लड़ सकें और एक सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकें। इस लेख में हम महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न अपराध से जुडी भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के बारे में जानेंगे, कि बीएनएस की धारा 75 के तहत क्या अपराध है (BNS Section 75 in Hindi)? इस धारा में सजा जमानत और बचाव के क्या प्रावधान है?
BNS के लागू होते ही यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) के अपराधों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के तहत मुकदमे दर्ज किए जाने लगे है। लेकिन पहले इस अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354a के तहत कार्यवाही की जाती थी। इसलिए आपराधिक कानूनों में हुए इन सभी बदलाव की जानकारी पाने व भविष्य में ऐसे अपराधों से सुरक्षा की जानकारी विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े।
बीएनएस की धारा 75 क्या है – BNS Section 75 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) के अपराध से संबंधित है, जिसमें यौन उत्पीड़न को परिभाषित किया गया है। यौन उत्पीड़न का मतलब होता है किसी महिला को बिना उसकी इजाजत के शारीरिक व भावनात्मक रूप से परेशान करना। उसके साथ किसी भी प्रकार का गलत व्यवहार करना। यह एक ऐसा कार्य है जो किसी महिला की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंचाता है।
यौन उत्पीड़न के अपराध को भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 की 3 उपधाराओं (Sub-Sections) के अंदर विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार है:-
बीएनएस धारा 75 की उपधारा (1): इसमें यौन उत्पीड़न के अपराध के तहत आने वाले मुख्य कार्यों को 4 खण्डों (Clauses) द्वारा बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति इनमें बताई गई बातों में से कोई भी कार्य करता है तो उस पर धारा 75(1) के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
यौन उत्पीड़न के तहत आने वाले कुछ प्रमुख कार्य:-
- गलत तरीके से छूना: अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को जानबूझकर (Intentionally) गलत तरीके से छूता है या शारीरिक संपर्क बनाने की कोशिश करता है, तो यह यौन उत्पीड़न माना जाता है।
- अश्लील प्रस्ताव देना: अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को अपने साथ यौन संबंध (Sexual Intercourse) बनाने का प्रस्ताव देता है या इस प्रकार की मांग करता है।
- अश्लील सामग्री दिखाना: अगर कोई व्यक्ति महिला को अश्लील तस्वीरें, वीडियो या अन्य सामग्री दिखाता है या भेजता है, तो यह भी अपराध है।
- अश्लील बातें या इशारे करना: अगर कोई व्यक्ति महिला से अश्लील बातें करता है या उसे गंदे इशारे करता है।
बीएनएस धारा 75 की उपधारा (2): इसमें बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति धारा 75 की उपधारा (1) में बताये गए खण्डों (i),(ii) व (iii) में बताए गई बातों में से कोई भी अपराध करेगा। उस व्यक्ति को धारा 75(2) के तहत कारावास व जुर्माने की सजा से दंडित किया जाएगा।
बीएनएस सेक्शन 75 की उपधारा (3): यदि कोई व्यक्ति उपधारा(1) के खण्ड (iv) में बताए गए अपराध को करता है, तो उस व्यक्ति को उपधारा 2 में दी गई सजा से कम सजा व जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
यौन उत्पीड़न कितने प्रकार से होता है?
यौन उत्पीड़न का अपराध मुख्य रुप से 3 प्रकार से होता है, आइये विस्तार से जानते है:-
- शारीरिक उत्पीड़न:- किसी भी महिला के शरीर को बिना उसकी अनुमति के गलत तरीके से छूना शारीरिक उत्पीड़न (Physical Harassment) कहलाता है।
- मौखिक उत्पीड़न:- किसी भी महिला पर गलत तरीके से व गंदी टिप्पणियाँ करना, चुटकुले या अपमान करना मौखिक उत्पीड़न (Verbal Harassment) कहलाता है।
- गैर-मौखिक उत्पीड़न:- इसमें किसी महिला को अश्लील इशारे करना, गंदी नज़र से देखना या कोई अश्लील वस्तु दिखाना गैर-मौखिक उत्पीड़न (Non-Verbal Harassment) कहलाता है।
कुछ कार्य जिनको करना धारा 75 का अपराधी बना सकता है
- किसी महिला को बिना उसकी अनुमति (Permission) के छूना।
- महिला के शरीर पर जानबूझकर हाथ फेरना या गंदी नीयत से छूना।
- जबरदस्ती गले लगाने की कोशिश करना।
- महिला के कपड़ों या शरीर पर गलत टिप्पणी (Wrong Comment) करना।
- किसी महिला से उसकी सहमति के बिना संभोग करने के लिए दबाव डालना।
- किसी महिला का पीछा करना और उसे असहज (Uncomfortable) महसूस कराना।
- महिला के बारे में गंदी बातें फैलाना या अफवाहें बनाना।
- ऑफिस या किसी कार्यस्थल पर महिला को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना।
- उसके शरीर को घूरना या गंदी नजरों से देखना।
बीएनएस सेक्शन 75 का आपराधिक उदाहरण
निष्ठा एक बहुत ही होनहार महिला थी, जो बहुत ही सालों से एक बड़ी कंपनी में काम करती थी। वही पर प्रशांत नाम का एक व्यक्ति भी निष्ठा के साथ ही नौकरी करता था। प्रशांत कई बार निष्ठा के बहुत ही करीब आकर बैठ जाता, और उसके कंधे पर हाथ रख देता था। जिससे निष्ठा बहुत ही परेशान हो जाती थी। एक दिन प्रशांत निष्ठा के पास आता है और उसके शरीर पर गलत तरीके से हाथ फेरने लगता है।
जिसके बाद वो निष्ठा को अपने साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए भी कहता है। यह बात सुनकर निष्ठा बहुत परेशान हो जाती है जिसके बाद वो प्रशांत की शिकायत पुलिस में कर देती है। कुछ ही देर बाद पुलिस वहाँ आती है और प्रशांत को निष्ठा की शिकायत पर धारा 75 में यौन उत्पीड़न के अपराध के तहत गिरफ्तार कर लेती है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के तहत सजा (Punishment Under BNS 75)?
बीएनएस की धारा 75 के अपराध में सजा (Punishment) को अलग-अलग उपधाराओं के द्वारा अपराध की गंभीरता के अनुसार बताया गया है। जो कि इस तरह से है:-
- BNS Section 75 (2) की सजा:- जो कोई भी व्यक्ति उपधारा 75 (1) में ऊपर बताए गए खण्डों (i), (ii) व (iii) के कार्यों द्वारा यौन उत्पीड़न का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे 3 साल तक की कारावास व जुर्माने (Imprisonment & Fine) से दंडित किया जा सकता है।
- BNS Section 75 (3) की सजा:- जो भी व्यक्ति उपधारा 75 (1) में ऊपर बताए गए खण्ड (Clause) (iv) के अपराध यानी अश्लील इशारे या गंदे इशारे करने का दोषी पाया जाएगा। उसे सजा के तौर पर 1 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने से दंडित (Punished) किया जा सकता है।
बीएनएस धारा 75 में जमानत कब व कैसे मिलती है
भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के तहत महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के अपराध को संज्ञेय (Cognizable) यानी गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस अपराध की गंभीरता के अनुसार ही इसी गैर-जमानती (Non-Bailable) भी रखा गया है। इसका मतलब है कि जिस भी व्यक्ति पर यौन उत्पीड़न के आरोप (Blame) लगते है उसे गिरफ्तारी के बाद अधिकार के तौर पर जमानत (Bail) नहीं दी जा सकेगी।
इसके साथ ही यह मामला सत्र न्यायालय (Sessions Court) द्वारा विचारणीय (Triable) होता है व इसमें किसी भी प्रकार का समझौता (Compromise) नहीं किया जा सकता है।
BNS Section 75 के तहत आरोपी व्यक्तियों के लिए कुछ आवश्यक बचाव उपाय
- इस अपराध के आरोप लगते ही तुरंत एक अनुभवी वकील से संपर्क करें जो यौन उत्पीड़न के मामलों में विशेषज्ञ (Expert) हो।
- एक वकील आपके केस से संबंधित कानूनी दिशा-निर्देश को समझकर बचाव (Defence) की रणनीति तैयार करेगा।
- आरोपी के लिए बचाव में सबसे जरुरी है, कि वह खुद के पक्ष में सबूत (Evidence) इकट्ठा करें, जैसे कि मैसेज, कॉल रिकॉर्डिंग, गवाहों के बयान आदि। जिनसे साबित हो सके कि आरोपी पर लगाए आरोप गलत व झूठे है।
- अगर आरोप झूठे हैं, तो आरोपी यह दावा कर सकता है कि उसे बदनाम करने या अन्य कारणों से फंसाया गया है। इसके लिए वह किसी भी पुराने विवाद या दुश्मनी के बारे में भी बता सकता है।
- अगर घटनास्थल पर कोई गवाह (Witness) मौजूद था, जो आरोपी के पक्ष में गवाही दे सकता है, तो उसका बयान बचाव के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकता है।
- किसी भी पूछताछ के दौरान आरोपी को अपने बयान सोच-समझकर देने चाहिए, क्योंकि गलत बयान देने से केस कमजोर हो सकता है।