क्या आप जानते हैं कि किसी अपराध को करने की सिर्फ योजना बनाना भी एक अपराध है? जी हाँ मान लीजिए कि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहते है, जो किसी अपराध को करने की योजना बना रहा है। ऐसी योजना जिसके द्वारा कल को वो व्यक्ति कोई बड़ा व गंभीर अपराध भी कर सकता है और इसके बारे में आपको भी पुरी जानकारी है। ऐसी कोई भी साजिश रचना ना सिर्फ उस व्यक्ति को बल्कि आपको भी कानूनी रुप से अपराधी बनाकर पूरी उम्र के लिए जेल का कैदी बना सकता है। BNS Section 61 में ऐसे ही अपराध के बारे में बताया गया है। आज हम भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 के बारे में समझेंगे कि बीएनएस की धारा 61 (1) (2) क्या है? व यह किस अपराध में लागू होती है? इस धारा में जमानत और सज़ा का क्या प्रावधान है?
आपराधिक साजिश (Criminal Conspiracy) के अपराध के मुकदमों पर कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120a और 120b के तहत दर्ज कर कार्यवाही की जाती थी। जिनको BNS के लागू होने के बाद से भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 61 से बदल दिया गया है। इसलिए अब से इस अपराध के हर आरोपी व्यक्ति के खिलाफ धारा 61 के तहत ही मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। आप सभी के लिए ही इस अपराध से जुड़ी हर जानकारी व बचाव उपायों के बारे में हमने विस्तार से जानकारी दी है।
बीएनएस की धारा 61 (1) (2) क्या है – BNS Section 61 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 आपराधिक षड्यंत्र (Criminal Conspiracy) के अपराध से संबंधित है। इसमें दो या दो से अधिक लोगों के बीच किसी अवैध कार्य या अपराध को करने के लिए किए गए समझौते के बारे में बताया गया है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 को दो उपधाराओं में बाँट कर इस अपराध की परिभाषा व सजा के बारे में बताया गया है।
बीएनएस धारा 61 की उपधारा (1):– इस उपधारा में बताया गया है कि जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी अपराध या अवैध कार्य (Illegal Act) को करने के लिए आपस में समझौता करते है। उस समझौते को तब आपराधिक षड्यंत्र नहीं माना जाएगा जब तक कि उस समझौते को आगे बढ़ाने के लिए एक या अधिक पक्षों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती। इसका मतलब है कि दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी अपराध को करने के लिए समझौता कर लेते है, तो केवल उनका समझौता करना ही अपराध नहीं माना जाएगा। जिस अपराध के लिए उन्होंने समझौता किया है, यदि वो उसके लिए योजना (Planning) बनाते है या उनमें से कोई भी व्यक्ति उस अपराध को अकेला भी कर देता है। तो दोनों व्यक्तियों पर धारा 61(1) के तहत कार्यवाही की जाएगी।
बीएनएस धारा 61 की उपधारा (2): इस उपधारा (Sub Sections) में बताया गया है कि जब दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में समझौता करके किसी अपराध या अवैध कार्य को करने के लिए कदम उठाते है। तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय न्याय संहिता की धारा 61(2) के तहत कारावास व जुर्माने की सजा से दंडित (Punished) किया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 की मुख्य बातें
- इस अपराध में दो या दो से अधिक व्यक्ति होने चाहिए।
- उन सभी व्यक्तियों के बीच किसी अपराध या अवैध कार्य को करने का आपसी समझौता होना चाहिए।
- केवल समझौता करने को ही अपराध नहीं माना जाएगा, बल्कि समझौते के बाद अपराध को करने के लिए योजना बनाना या कोई कदम उठाया जाना चाहिए।
- जो भी इस अपराध को करेगा उसे कारावास की सजा व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
BNS 61 के तहत अपराध में शामिल कुछ कार्य
- दो या दो से अधिक लोगों द्वारा किसी व्यक्ति या जगह को लूटने की योजना बनाना जिसमें लूट का समय, स्थान और इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार (Weapon) भी शामिल हो सकते है।
- किसी व्यक्ति की हत्या करने के लिए दो या दो से अधिक लोगों द्वारा मिलकर योजना बनाना जैसे:- हत्या करने का तरीका, कैसे हत्या करनी है, सबूत कैसे मिटाने है आदि।
- किसी व्यक्ति को धोखा देकर उससे उसके पैसे या संपत्ति को हासिल करने के लिए योजना बनाना जैसे झूठे दस्तावेज (False Documents) बनाना, झूठे वादे करना आदि।
- अपहरण का अपराध करने के लिए योजना बनाना या फिरौती (Ransom) मांगने के लिए योजना बनाना।
- किसी भी व्यक्ति से जबरदस्ती पैसे वसूल करने के लिए योजना बनाना।
- नकली नोट छापकर बाजार में चलाने के लिए साजिश करना।
- दो या दो से अधिक लोगों द्वारा योजना बनाकर हिंसा (Violence) फैलाने के लिए दंगे (Riots) करने की साजिश करना।
इन गैर-कानूनी कार्यों से भी कुछ अन्य कार्य हो सकते है, जिनको करना BNS Section 61 के तहत अपराध माना जाता है।
बीएनएस सेक्शन 61 लगने का उदाहरण
एक बार अमित, रोहित व अजय तीन दोस्त थे। उनके पड़ोस में ही रमेश नाम का एक बहुत ही अमीर व्यक्ति रहता था। एक दिन वे तीनों मिलकर रमेश के पैसे लूटने की योजना बनाते है। जिसके लिए वे तीनों योजना बनाते है कि वे रमेश को उसके घर में घुसकर बांध देंगे व उसके सारे पैसों को लुट कर कही दूर भाग जाएंगे।
एक रात वो अपनी इस योजना को अंजाम देने के लिए इकट्ठे होते है। जिसके बाद वो रमेश के घर के पास जाकर उसकी खिड़की तोड़ कर घुसने की कोशिश करते है। लेकिन, रमेश आवाज सुनकर जाग जाता है और शोर मचाता है। जिसके बाद पड़ोसी पुलिस को बुला लेते है। पुलिस वहाँ आती है और उन तीनों को गिरफ्तार कर लेती है। जिसके बाद पुलिस उन तीनों के खिलाफ BNS 61 के तहत आपराधिक साजिश करने के लिए कार्यवाही करती है। इसमें भले ही वे तीनों अपने अपराध को करने में सफल ना हुए हो, लेकिन उन तीनों ने योजना बनाकर अपराध करने की साजिश की इसलिए उन पर इस धारा के तहत कार्यवाही की गई।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 में सजा का प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 में आपराधिक साजिश के लिए सजा को धारा 61(2) में दो प्रकार से बताया गया है।
- इसमें बताया गया है कि दो या दो से अधिक व्यक्ति जब किसी ऐसे अपराध को करने की साजिश करते है। जिसमें मृत्यु दण्ड, आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक कारावास से दण्डनीय (Punishable) सजा होती है, तो दोषी (Guilty) पाये जाने वाले व्यक्ति को उसी अपराध के तहत दी गई सजा के समान सजा दी जा सकती है। इसका मतलब है कि आरोपी व्यक्ति जिस भी अपराध को करने के लिए साजिश करेंगे उन्हें उसी अपराध की सजा के बराबर सजा दी जाएगी।
- जब दो या दो से अधिक व्यक्ति उपर बताए गई गंभीर अपराधों की सजा से अलग यानी 2 वर्ष से कम सजा वाले किसी अपराध में साजिश करने के दोषी पाये जाएंगे। तब उन्हें 6 महीने से अधिक के कारावास (Imprisonment) व जुर्माने की सजा से दंडित किया जाएगा।
BNS Section 61 में जमानत कब व कैसे मिलती है
बीएनएस की धारा 61 के तहत आपराधिक साजिश के अपराध के लिए स्पष्ट रुप से यह नहीं बताया गया है कि यह जमानती है या गैर-जमानती। इसमें भी सजा के प्रावधानों (Provisions) के तहत ही बताया गया है कि दो या दो से अधिक व्यक्ति जिस भी अपराध को करने की साजिश करेंगे। उन्हें उसी अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत (Bail) देने या ना देने का फैसला लिया जा सकता है।
उदाहरण:- जैसे कोई व्यक्ति आपस में मिलकर किसी व्यक्ति की हत्या (Murder) की योजना बनाते है, और उसके लिए कोई भी कदम उठाते है तो हत्या एक गैर-जमानती (Non-Bailable) अपराध है। इसलिए उन व्यक्तियों को जमानत नहीं दी जाएगी।
BNS Section 61 के अपराध में बचाव के लिए उपाय
- ऐसे अपराधों से बचने के लिए सबसे आवश्यक बात तो यह है कि किसी के भी बहकावे में आकर किसी गैर-कानूनी कार्य के लिए समझौता ना करें।
- यदि आप गलती से ऐसे अपराध में फंस जाते है, तो सबसे पहले किसी वकील के पास जाकर आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए सहायता ले।
- इसके बाद वकील को सारी घटना के बारे में जानकारी दे, यदि आपके पास खुद के बचाव (Defence) के लिए कोई सबूत (Evidence) है तो वो भी वकील को दे।
- वकील आपके द्वारा दी गई सभी जानकारियों को सुनकर ही आपको यह जानकारी देगा कि आप पर जिस अपराध के आरोप लगे है वो जमानती है या गैर-जमानती।
- इसके अलावा अगर किसी ने आपको झूठे केस (False Case) में फंसाया है व इस बात को साबित करने के लिए आपके पास कोई भी सबूत हो तो उसे भी न्यायालय में पेश करें।
- यदि आप किसी भी व्यक्ति के साथ किसी अपराध को करने की साजिश में शामिल नहीं थे और आपने किसी भी प्रकार से उस व्यक्ति का साथ नहीं दिया होगा। ऐसे में आपका बचाव हो सकता है।
- न्यायालय में जाकर किसी भी प्रकार का झूठ ना बोले और अपने वकील पर विश्वास रखे।
इनसे अलग भी आरोपी व्यक्तियों (Accused Persons) के लिए अन्य बहुत सारे बचाव उपाय हो सकते है, जिनकी ज्यादा जानकारी के लिए आपको किसी काबिल वकील की सहायता जरुर लेनी चाहिए।
निष्कर्ष:- BNS Section 61 से हमें बहुत सारी बाते सीखने को मिलती है जैसे कि किसी भी ऐसे व्यक्ति का साथ नहीं देना चाहिए जो किसी भी आपराधिक गतिविधि (Criminal Activity) में शामिल रहता हो। अगर आप ऐसे किसी भी व्यक्ति का साथ देते है, तो आपको भी कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है। यदि गलती से आप ऐसे किसी भी अपराध में फंस गए है और अपनी समस्या के समाधान के लिए किसी वकील की सहायता चाहते है। तो आप आज ही हमारे वकीलों से बात करके कानूनी सलाह प्राप्त कर सकते है।