Monday, June 23, 2025
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BNS Section 308 – जबरन वसूली की बीएनएस धारा 308 में सजा जमानत

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 308 जबरन वसूली (Extortion) से संबंधित है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को डराने-धमकाने की कोशिश करता है ताकि वह उससे संपत्ति या कोई कीमती चीज़ जबरदस्ती हासिल कर सके, तो यह एक अपराध माना जाएगा।

धारा 308 में जबरन वसूली को कई तरह के गंभीर तरीकों के आधार पर इसकी 7 उपधाराओं द्वारा बताया गया है, आइये इन सभी उपधाराओं को आसान भाषा में जानते है:-

  1. बीएनएस धारा 308 (1):- “जबरन वसूली” एक ऐसा अपराध है जिसमें कोई व्यक्ति जानबूझकर (Intentionally) किसी दूसरे व्यक्ति को डराकर या धमका कर उसे कुछ देने के लिए मजबूर करता है। इस डर के चलते, पीड़ित व्यक्ति अपनी संपत्ति, पैसे, या किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज (Important Documents) को दे देता है।
  2. बीएनएस धारा 308 (2):- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली (Extortion) करता है, यानी किसी को डराकर या धमकाकर उसकी संपत्ति, पैसे, या महत्वपूर्ण दस्तावेज लेता है, तो उस व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर धारा 308(2) के तहत सजा दी जाती है।
  3. बीएनएस सेक्शन 308 (3): अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली करने के लिए किसी को डराता (Scares) है या उसे किसी तरह की चोट (Injury) पहुँचाने के डर में डालता है, तो उस पर धारा 308(3) लागू की जाती है। उदाहरण:- अगर कोई व्यक्ति किसी को चोट पहुंचाने की धमकी (Threat) देता है ताकि वह अपनी कीमती चीजें दे दे, तो उसे इस अपराध के तहत सजा मिल सकती है।
  4. बीएनएस सेक्शन 308 (4):- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली के लिए किसी को मौत या गंभीर चोट (Death Or Serious Injury) का डर दिखाता है या ऐसा करने का प्रयास करता है, तो उसे सेक्शन 308(4) के तहत सजा मिल सकती है।
  5. बीएनएस सेक्शन 308 (5):- जब कोई व्यक्ति किसी को मौत या गंभीर चोट का डर दिखाकर जबरन वसूली करता है, तो इसे उस व्यक्ति को इस उपधारा (Sub-Section) के तहत दंडित किया जाएगा।
  6. बीएनएस सेक्शन 308 (6):- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली के लिए किसी को डराता है और कहता है कि वह उस पर या किसी और पर गंभीर अपराध करने का आरोप (Blame) लगाएगा, जैसे कि हत्या या आजीवन कारावास की सजा वाले अपराधों के आरोप। ऐसे व्यक्ति पर धारा 308(6) लागू कर कार्यवाही की जाती है।
  7. बीएनएस सेक्शन 308 (7):- जब कोई व्यक्ति धमकाता है कि वह तुम्हें या किसी और को गंभीर अपराध का आरोपी बना देगा, या किसी को ऐसा अपराध करने के लिए उकसाएगा तो उस पर सेक्शन 308(7) के तहत कार्यवाही की जाती है।

जबरन वसूली की धारा के आवश्यक तत्व क्या हैं?

  • डराना: अपराधी जानबूझकर पीड़ित (Victim) को डराता है, जैसे उसे मारने की धमकी देना, या उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना।
  • पैसे या चीज़ लेना: अपराधी का मुख्य काम पीड़ित से पैसे या कोई कीमती चीज़ लेना होता है।
  • गलत तरीके से दबाव डालना: अपराधी पीड़ित पर गलत तरीके से दबाव डालता है, जैसे उसे बदनाम करने की धमकी देना या उसके बारे में झूठी बातें फैलाने की धमकी देना।
  • मजबूरी में देना: इस अपराध के चलते पीड़ित डर के मारे पैसे या कोई संपत्ति देता है।

जबरन वसूली (Extortion)​ के अपराध का उदाहरण

एक छोटे से शहर में प्रीतम नाम का एक दुकानदार अपनी दुकान चलाता था। उसकी दुकान काफी लोकप्रिय थी और उसमें हर रोज बहुत से ग्राहक आते थे। एक दिन वह रात के समय जब अपनी दुकान को बंद कर रहा था, तो उसके पास अचानक से सुमित नाम का एक बदमाश आ जाता है। सुमित ने प्रीतम को धमकाते हुए कहा, “अगर तुमने मुझे 50,000 रुपये नहीं दिए तो मैं तुम्हारी दुकान में तोड़फोड़ कर दूंगा और तुम्हें जान से मार दूंगा।”

प्रीतम बहुत डर गया और उसने श्याम को 50,000 रुपये दे दिए। यह एक स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे सुमित ने प्रीतम को डराकर उससे पैसे लिए। इस मामले में सुमित ने धारा 308 के तहत जबरन वसूली का अपराध किया है क्योंकि उसने प्रीतम को डराकर उससे पैसे लिए हैं।

कुछ कार्य जिनको करना BNS 308 का अपराधी बना सकता है

  • पैसे या अन्य किसी वस्तु की माँग के लिए किसी व्यक्ति को शारीरिक नुकसान (Physically Harm) पहुंचाने या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना।
  • जबरन वसूली करने के ले किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने या उसे बदनाम करने की धमकी देना।
  • जबरदस्ती पैसों की मांग के साथ किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी देना।
  • पैसा या कोई वस्तु ना देने पर किसी व्यक्ति को किसी अपराध में फंसाने की धमकी देना।
  • किसी व्यक्ति के परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना।

बीएनएस की धारा 308 की सभी उपधाराओं की सजा

भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 308 में जबरन वसूली के अपराध की सजा को इसकी 7 उपधाराओं (Sub-Sections) में विस्तार से अपराध की गंभीरता के आधार पर बाँटा गया है जो कि इस प्रकार है:-

  • उपधारा 308 (2) की सजा:- इसके अनुसार बताया गया है कि जो भी व्यक्ति जबरन वसूली के अपराध को करने का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे न्यायालय द्वारा धारा 308(2) के तहत 7 वर्ष की कारावास व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
  • उपधारा 308 (3) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली के लिए किसी को डराने या चोट पहुँचाने का डर दिखाने का दोषी पाया जाएगा। उस पर 2 वर्ष तक की जेल व जुर्माना (Fine) लगाया जा सकता है।
  • उपधारा 308 (4) की सजा:- जब कोई व्यक्ति जबरन वसूली करने के लिए गंभीर चोट पहुँचाने का डर दिखाने के अपराध का दोषी होगा। उसे उसके किए गए अपराध के लिए 7 वर्ष तक की जेल व जुर्माने की सजा (Punishment) दी जा सकती है।
  • उपधारा 308 (5) की सजा:- जो भी व्यक्ति जबरन वसूली के लिए मौत का डर बनाकर इस अपराध को करने का दोषी होगा उसे 10 वर्ष की जेल व जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
  • उपधारा 308 (6) व 308 (7) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को किसी गंभीर अपराध में फंसाने की धमकी देने का या किसी को उकसाने का अपराध करता है। तो उस पर 10 वर्ष की कारावास (Imprisonment) की सजा व जुर्माना लगाकर दंडित (Punished) किया जा सकता है।
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