भारतीय न्याय संहिता की धारा (BNS Section) 303 चोरी के अपराध से संबंधित है। इसमें बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति बेईमानी (Dishonesty) से किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे (Possession) से उसकी सहमति के बिना किसी संपत्ति को अपने कब्ज़े मैं करने का इरादा रखता है। या उस संपत्ति को अपने साथ छिपा कर ले जाता है, वह चोरी कहलाती है।
सरल भाषा द्वारा समझे तो इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को बेईमानी से अपने पास रखने के लिए साथ ले जाता है। साथ ही ऐसा कार्य वो उस संपत्ति के मालिक की अनुमति के बिना करता है, यानी चोरी करने के इरादे से उस वस्तु को अपने साथ ले जाता है। उस व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 303 लागू होती है, जिसमें आरोपी व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही कर उसे दंड दिया जाता है।
बीएनएस की धारा 303 के मुख्य बिंदु क्या है?
- बेईमानी का इरादा: आरोपी का इरादा किसी संपत्ति को बेईमानी से लेने का होना चाहिए। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति उस संपत्ति को अपने साथ रखने के लिए उसके असल मालिक (Real owner) से उस संपत्ति को दूर कर देता है।
- चल संपत्ति: चोरी की गई वस्तु चल संपत्ति (Moveable property) होनी चाहिए। ज़मीन, इमारतें और ज़मीन से जुड़ी हुई वस्तुओं को तब तक चल संपत्ति नहीं माना जाता जब तक कि उन्हें अलग न कर दिया जाए।
- कब्जे से लेना: संपत्ति लेने के समय किसी दूसरे व्यक्ति के कब्जे में होनी चाहिए। यानी जो संपत्ति हम प्राप्त कर रहे है उस संपत्ति का कोई मालिक होना चाहिए।
- बिना सहमति के लेना:- किसी संपत्ति को बिना उसके मालिक की सहमति के ले जाना। बल, जबरदस्ती या धोखे से प्राप्त हुई सहमति को वैध (Valid) नहीं माना जाएगा।
- संपत्ति की आवाजाही: आरोपी ने संपत्ति को ले जाने के लिए किसी तरह से उसे हिलाया होगा। ऐसा उसके रास्ते में आने वाली बाधा को हटाना या उसे किसी और चीज़ से अलग करना हो सकता है।
चोरी के अपराध की धारा 303 का उदाहरण
माया एक दिन अपने कुछ दोस्तों के साथ पार्क में पिकनिक मनाने के लिए गई हुई थी। वही पार्क में माया ने अपने पर्स व फोन को रख दिया था। जिसके बाद माया अपने दोस्तों के साथ पार्क में ही थोड़ी दूरी पर खेलने लग जाती है। उसी समय राहुल नाम के एक लड़के की नजर माया के पर्स व फोन पर पड़ जाती है।
माया का ध्यान पुरी तरह से खेलने में लगा हुआ था, इसी बात का फायदा उठाकर राहुल माया के पर्स व फोन को बिना उसकी अनुमति के अपने साथ ले जाने के इरादे से उठा ले जाता है। जब माया वहाँ आकर देखती है तो उसे अपना पर्स व फोन दोनों उस जगह से गायब दिखाई देते है।
उसी समय जब राहुल माया को पर्स व फोन ले जा रहा होता है, तो एक व्यक्ति उसे पकड़ लेता है। जिसके बाद वो व्यक्ति वहाँ पर पुलिस बुला लेता है, और माया को उसका पर्स व फोन लौटा देता है। वही पुलिस राहुल पर बीएनएस के तहत आने वाली चोरी करने की धारा BNS Section 303 के तहत शिकायत दर्ज (Complaint Register) कर उस पर कार्यवाही करती है।
भारतीय न्याय संहिता में चोरी की धारा 303 में सजा – Punishment in Hindi
Bhartiya Nyaya Sanhita की धारा 303 में चोरी के लिए सजा (Punishment For Theft) के बारे में बताया गया है, कि जो कोई भी व्यक्ति चोरी करने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाता है। उसे सजा के तौर पर तीन साल तक की कैद व जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। वही बार-बार इस तरह के अपराध करने वालों के लिए सज़ा ज़्यादा सख्त हो सकती है। जिसमें कम से कम एक साल की सज़ा से लेकर 5 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों शामिल है।