BNS की धारा 238 एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रावधान (Provision) है जो किसी अपराध के साक्ष्य यानि सबूतों (Evidences) को छिपाने या किसी अपराधी को बचाने के लिए झूठी जानकारी (False Information) देने से संबंधित है। इस धारा का उद्देश्य न्याय व्यवस्था (Judicial System) में बाधा उत्पन्न करने वाले कार्यों को रोकना है। यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति किसी अपराध के बारे में जानते हुए जानबूझकर उस अपराध के सबूतों को नष्ट करने या छिपाने का प्रयास करता है।
उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किए गए हत्या (Murder) के जुर्म के बारे में जानता है और हत्यारे को बचाने के लिए हथियार (Weapon) को छिपा देता है, तो वह भारतीय न्याय संहिता की धारा 238 के तहत दोषी पाया जा सकता है।
- BNS 238 का खण्ड (a) अगर किसी व्यक्ति ने हत्या का अपराध किया है और उसे बचाने के लिए कोई अन्य व्यक्ति सबूतों व गवाहों (Witnesses) को छिपाने का प्रयास करता है तो उसे 238 के खण्ड (a) के तहत दंडित (Punished) किया जा सकता है।
- BNS 238 का खण्ड (b) अगर किसी व्यक्ति ने कोई ऐसा अपराध किया हो जिसकी सजा के तौर पर उसे आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा मिल सकती है। लेकिन उस व्यक्ति को बचाने के लिए कोई व्यक्ति सबूतों को मिटाता है या झूठी जानकारी देता है तो उसे खण्ड (b) के तहत दंडित किया जाएगा।
- BNS 238 का खण्ड (c) यदि किसी अपराध के लिए 10 साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है, और कोई व्यक्ति ऐसे मामले से जुड़े सबूत छुपाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उस व्यक्ति को 238 का खण्ड (c) के तहत सजा दी जा सकती है।
इस धारा के लागू होने के लिए मुख बिंदु
- इस धारा के लागू किए जाने से पहले सबसे यह साबित होना चाहिए कि कोई अपराध हुआ है।
- उसके बाद यह साबित होना चाहिए कि किसी ने जानबूझकर (Intentionally) उस अपराध के साक्ष्य को छिपाया है। यह साक्ष्य कुछ भी हो सकता है, जैसे कि हथियार, कपड़े, या कोई और चीज जो अपराध से जुड़ी हो।
- या फिर, यह साबित होना चाहिए कि किसी ने जानबूझकर झूठी जानकारी देकर अपराधी (Criminal) को बचाने की कोशिश की है।
बीएनएस सेक्शन 238 के अपराध को सरल भाषा में समझने योग्य उदाहरण
रवि और श्याम बचपन के दोस्त थे। दोनों एक ही शहर में रहते थे और एक दूसरे के बहुत करीब थे। एक दिन रवि ने श्याम को बताया कि उसने एक ज्वैलरी की दुकान से चोरी की है और सोने के गहने चुरा लिए हैं। रवि ने श्याम से कहा कि वह गहने उसके घर में छिपा दे। श्याम इस बात से बहुत डर गया लेकिन रवि से दोस्ती निभाने के लिए राजी हो गया। श्याम ने गहनों को अपने घर की अलमारी में छिपा दिया। कुछ दिनों बाद पुलिस को इस चोरी के बारे में पता चला और उन्होंने रवि के घर की तलाशी ली। लेकिन पुलिस को कुछ नहीं मिला।
रवि ने पुलिस को बताया कि उसे इस चोरी के बारे में कुछ नहीं पता है। पुलिस ने श्याम से भी पूछताछ की लेकिन श्याम ने भी कुछ नहीं बताया। श्याम ने जानबूझकर चोरी के गहने छिपाकर रवि को बचाने की कोशिश की। जो कि कानूनी रुप से अपराध है और इसमें पकड़ने जाने पर रवि व श्याम दोनों पर BNS की धारा 238 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
BNS Section 238 के अपराध में किए जाने वाले कुछ अन्य कार्य
- किसी अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार को छिपाना, फेंक देना या दबा देना।
- अपराध के स्थान को साफ करना जैसे कि हत्या के स्थान से खून के निशान मिटाना।
- गवाहों को डराना या लालच देकर गवाही ना देने के लिए मजबूर करना।
- पुलिस को गुमराह करने के लिए झूठ बोलना।
- अपराधी को पुलिस द्वारा पकड़े जाने से बचाने के लिए छिपने में मदद करना।
- झूठे सबूत बनाना जैसे किसी और व्यक्ति को अपराध का दोषी ठहराने के लिए झूठे सबूत लगाना।
- पुलिस को यह बताने से इनकार करना कि अपराध के बारे में क्या जानते हैं।
- अपराध के साक्ष्य को नष्ट करना जैसे कि सीसीटीवी फुटेज को मिटाना।
- अपराधी को देश से बाहर भेजना ताकि वह पुलिस की पकड़ से बच सके।
बीएनएस की धारा 238 में अपराध के दोषियों के लिए सजा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 238 के तहत सजा को तीन प्रकार से बताया गया है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती हैं।
- धारा 238 का खण्ड (a) की सजा:- यदि किसी ने ऐसा अपराध किया है, जिसकी सजा मौत (Death) हो सकती है, और कोई व्यक्ति ऐसी सजा से आरोपी (Accused) को बचाने के लिए सबूतों को जानबूझकर मिटाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उस व्यक्ति को 7 साल तक की जेल हो सकती है। इसके साथ में जुर्माना भी लग सकता है।
- धारा 238 का खण्ड (b) की सजा:- अगर किसी अपराध के लिए आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा दी जा सकती है, और कोई व्यक्ति ऐसे केसों में बाधा डालने के लिए जानबूझकर सबूत मिटाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उस व्यक्ति को 3 साल तक की जेल व जुर्माने की हो सकती है।
- धारा 238 का खण्ड (C) की सजा:- यदि किसी अपराध के लिए 10 साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है, और कोई व्यक्ति ऐसे अपराधों की सजा से बचने के लिए सबूत छुपाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उस व्यक्ति को अपराध की अधिकतम सजा का 1/4 हिस्सा जेल में काटना पड़ेगा। यानि उसे 2.5 साल तक की जेल व जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।