Monday, June 9, 2025

BNS Section 191 in Hindi – दंगे की बीएनएस धारा में सजा और जमानत

भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 दंगा (Riot) करने के अपराध से संबंधित है। दंगा एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें पांच या उससे अधिक लोग एक साथ मिलकर गैर-कानूनी रुप से सभा (Unlawful Assembly) का आयोजन करके एकत्र होते है। इन सभी का उद्देश्य कानून के विरुद्ध कार्य करने या बल प्रयोग करने का होता है।

बीएनएस धारा 191 को मुख्य रुप से 3 उपधाराओं (Sub-Sections) में बाँटा गया है जो कि इस प्रकार है :-

  • BNS 191 (1):– धारा 191(1) में दंगे के अपराध की परिभाषा के बारे में बताया गया है। जिसमें कहा गया है कि जब किसी गैर-कानूनी सभा (Unlawful Assembly) में 5 या 5 से अधिक लोग इकट्ठे होते है, व उस सभा में बल व हिंसा (violence) का प्रयोग करते है। तो उस सभा के प्रत्येक सदस्यों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 191(1) लागू कर कार्यवाही की जाती है।
  • BNS 191 (2): धारा 191(2) में साधारण दंगे के अपराध की सजा के बारे में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति या समूह किसी गैर-कानूनी सभा में बिना किसी घातक हथियार (Dangerous Weapons) के हिंसा करता है, तो ऐसे व्यक्ति को दोषी (Guilty) पाये जाने कारावास की सजा व जुर्माने से दंडित किया जाता है।
  • BNS 191 (3) इसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति किसी गैर-कानूनी सभा में घातक हथियार के साथ हिंसा करेगा। उस व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर साधारण दंगे की सजा में दी जाने वाली सजा से ज्यादा दंड दिया जाता है।

नोट :- इन सभी उपधाराओं की सजा के बारे में नीचे संपूर्ण जानकारी दी गई है, जिनको पढ़ कर आप सजा व जुर्माने के दंड की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 की मुख्य बातें:-

  1. अवैध सभा: पाँच या उससे अधिक व्यक्तियों का एक साथ इकट्ठा होना, जिसका उद्देश्य गैर-कानूनी हो या जिसके होने पर सार्वजनिक शांति (Public Peace) खराब हो।
  2. बल या हिंसा: दंगा करने के अपराध के लिए बल या हिंसा (force or violence) का प्रयोग आवश्यक है। इससे व्यक्तियों या संपत्ति को नुकसान पहुँचाना शामिल हो सकता है।
  3. सामान्य उद्देश्य: गैरकानूनी सभा का एक सामान्य उद्देश्य होना चाहिए, और बल या हिंसा का प्रयोग उस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए होना चाहिए।
  4. सदस्यता: बल या हिंसा के प्रयोग के समय आरोपी व्यक्ति को गैरकानूनी सभा का सदस्य होना चाहिए। यानी जिन लोगों पर आरोप लगाए गए है वे हिंसा के समय उस सभा में मौजूद होने चाहिए।

BNS धारा 191 के तहत अपराध माने जाने वाले कार्य

  • लोगों के समूह द्वारा सार्वजनिक स्थानों (Public Places) पर तोड़ फोड़ करना सड़कों, इमारतों या अन्य सार्वजनिक संपत्ति को जानबूझकर (Intentionally) नुकसान पहुंचाना।
  • घरों, दुकानों या वाहनों को आग लगाना।
  • पुलिस या अन्य लोगों पर पत्थर मारकर हमला करना।
  • लाठियां, डंडे या अन्य हथियारों का उपयोग करके लोगों को घायल करना।
  • दुकानों या घरों में घुसकर सामान लूटना या तोड़फोड़ करना।
  • सड़कों को जाम करके या वाहनों को नुकसान पहुंचाकर यातायात (Traffic) को बाधित करना।
  • सरकारी कार्यालयों या अन्य सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।
  • मंदिरों, मस्जिदों या चर्चों जैसे धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना।
  • दंगा भड़काने के लिए झूठी अफवाहें फैलाना।
  • भाषण या अन्य माध्यमों से लोगों को हिंसा के लिए उकसाना।
  • जानबूझकर एक गैरकानूनी सभा में शामिल होना।
  • बल या धमकी के माध्यम से अन्य लोगों को गैरकानूनी सभा (Unlawful Assembly) में शामिल होने के लिए मजबूर करना।

बीएनएस सेक्शन 191 का आपराधिक उदाहरण

अजय, विजय और रोहित एक छोटे से शहर में रहते थे। कुछ ही समय पहले उनके शहर में एक नई फैक्ट्री खोली गई थी, जिसके कारण उस क्षेत्र का प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया था। बढ़ते प्रदूषण से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने फैक्ट्री के मालिक से प्रदूषण कम करने के लिए कहा, लेकिन फैक्ट्री के मालिक ने उनकी बात को अनदेखा कर दिया। इस बात से नाराज होकर अजय, विजय और रोहित अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर प्रदर्शन करने की सोचते है। जिसके बाद वो बिना पुलिस की अनुमति के गैर-कानूनी रुप से प्रदर्शन करने लग जाते है। पहले तो प्रदर्शन बहुत ही शांतिपूर्ण रुप से चल रहा होता है, लेकिन कुछ ही देर बाद कुछ शरारती लोगों ने प्रदर्शन में शामिल होकर हिंसा शुरू कर दी।

उन्होंने सड़कों को जाम किया, दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी की। अजय, विजय और रोहित ने भीड़ को शांत करने की भी बहुत कोशिश की लेकिन वे उसमें असफल रहे। आखिर में हिंसा ज्यादा बढ़ते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। क्योंकि अजय, विजय और रोहित एक गैरकानूनी सभा के सदस्य थे जिसमें बल और हिंसा का उपयोग किया गया था, इसलिए वे भी BNS की धारा 191 के तहत अपराध के दोषी पाए जा सकते हैं।

BNS Section 191 (1) (2) (3) के तहत सजा

भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 में दंगे के अपराध की सजा (Punishment For Rioting) में बताया गया है कि किसी भी गैर-कानूनी सभा में किसी भी प्रकार की हिंसा होती है। तो उस सभा के सभी सदस्यों (Members) को दोषी (Guilty) मानकर सजा दी जा सकती है। दंगे के अपराध की सजा को BNS की धारा 191 की अलग-अलग उपधाराओं (Sub-Sections) में बताया गया है।

  • बीएनएस की धारा 191 (2) की सजा:- धारा 191(2) में साधारण दंगे के अपराध की सजा के बारे में बताया गया है। यदि किसी दंगे में घातक हथियार का शामिल ना किया गया हो, तो ऐसे अपराध में दोषी व्यक्तियों को 2 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने से दंडित (Punished) किया जाता है।
  • बीएनएस की धारा 191 (3) की सजा:- इसमें बताया गया है कि जब भी किसी गैर-कानूनी सभा के सदस्य दंगे में किसी घातक हथियार से हमला (Attack) करने के अपराध के दोषी पाये जाते है। उन्हें सजा के तौर पर 5 वर्ष तक कारावास व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। घातक हथियार का मतलब कोई भी ऐसा हथियार है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति को मारने या गंभीर रूप से घायल (injured) करने के लिए किया जा सकता है।
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