भारतीय न्याय संहिता की धारा 336 के तहत जालसाजी (Forgery) को एक गंभीर अपराध माना गया है। जब कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी झूठे दस्तावेज़ (False Documents) या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (यानि डिजिटल डेटा जैसे Email, Pdf आदि।) को बनाता है, ताकि किसी को धोखा दे सके या नुकसान पहुँचा सके तो उसे जालसाजी कहा जाता है। यह धारा इस तरह के कार्यों के लिए कानूनी रूप से कार्यवाही करती है और दोषी व्यक्तियों के लिए सज़ा का प्रावधान (Provision) करती है।
जैसे:- किसी व्यक्ति की नकली डिग्री या सर्टिफिकेट बनाना और उसे नौकरी के लिए इस्तेमाल करना।
इस धारा के अंतर्गत, झूठे दस्तावेज़ बनाने का मतलब सिर्फ किसी लिखित कागज़ात में गड़बड़ी करना नहीं है, बल्कि इसमें डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जैसे कि कंप्यूटर फ़ाइलें, ईमेल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ (Documents) भी शामिल हैं।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 336 में जालसाजी (Forgery) के अपराध को अलग-अलग उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा बताया गया है, जो इस तरह से है:-
बीएनएस सेक्शन 336 की उपधारा (1):- जालसाजी के अपराध की परिभाषा:- कोई भी व्यक्ति अगर जानबूझकर किसी व्यक्ति या समाज को नुकसान पहुंचाने के इरादे (Intention) से कोई गलत दस्तावेज़ (जैसे कि कोई कागज, डिजिटल रिकॉर्ड, या कोई और दस्तावेज़) बनाता है, तो उसे “जालसाजी” कहा जाता है।
जालसाजी की यह उपधारा (Sub-Section) तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति गलत दस्तावेज़, कागज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाता है या उसे किसी को नुकसान पहुंचाने, किसी दावे का समर्थन करने, या किसी को संपत्ति से वंचित (Deprivation of property) करने के इरादे से ऐसे कार्य को करता है।
बीएनएस सेक्शन 336 की उपधारा (2): इसमें धारा 336(1) के तहत बताए गए जालसाजी के अपराध कि सजा (Punishment) के बारे में बताया गया है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति दूसरों को धोखा देने के इरादे से झूठे दस्तावेज़ या रिकॉर्ड बनाता है, तो वह कानून के तहत अपराधी माना जाएगा और उसे धारा 336(2) के तहत कैद या जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ेगा।
बीएनएस सेक्शन 336 की उपधारा (3): जब कोई जानबूझकर नकली दस्तावेज़ (Fake Documents) बनाता है ताकि उसे किसी धोखाधड़ी (Fraud) के काम में इस्तेमाल किया जा सके, तो उसे सेक्शन 336(3) के तहत एक लंबी अवधि के लिए जेल भेजा जा सकता है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसमें सजा अधिक होती है क्योंकि इस तरह के कार्यों से न केवल किसी व्यक्ति बल्कि समाज को भी गंभीर नुकसान हो सकता है।
बीएनएस सेक्शन 336 की उपधारा (4):- जब कोई व्यक्ति जानबूझकर नकली दस्तावेज़ बनाता है या ऐसा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार करता है जिसका उद्देश्य किसी की इज़्ज़त को ठेस पहुंचाना हो, तो यह सेक्शन 336(4) के तहत एक गंभीर अपराध माना जाएगा।
BNS Section 336 के अपराध को साबित करने वाले मुख्य तत्व
- जब कोई व्यक्ति किसी झूठे दस्तावेज़ (Fake Documents) का उपयोग करके किसी अन्य व्यक्ति या संगठन को धोखा देने का प्रयास करता है।
- जब कोई इंसान नकली दस्तावेज़ को बनाता है, जैसे कि नकली डिग्री, पासपोर्ट, या वाहन का पंजीकरण प्रमाण पत्र।
- किसी व्यक्ति द्वारा किसी मौजूदा दस्तावेज़ में हेरफेर करता है, जैसे कि किसी चेक में राशी बदलना।
- जब कोई व्यक्ति किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में हेरफेर करता है, जैसे कि किसी कंप्यूटर सिस्टम में डेटा बदलना।
जालसाजी के प्रकार – Type of Forgery in Hindi
जालसाज़ी कई प्रकार से की जा सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- नकली दस्तावेज बनाकर: यह सबसे ज्यादा होने वाली जालसाजी है, जिसमें किसी नकली दस्तावेज़ को बनाकर यह अपराध किया जाता है।
- नकली नोट बनाकर: इसमें नकली नोट (Fake Currency) बनाना शामिल है।
- क्रेडिट कार्ड द्वारा जालसाजी : इसमें नकली क्रेडिट कार्ड बनाना या किसी के क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराना शामिल है।
- ऑनलाइन जालसाजी: इसमें इंटरनेट के माध्यम से धोखाधड़ी करना शामिल है, जैसे कि फिशिंग या साइबरस्टॉकिंग।
कुछ ऐसे कार्य जिनको करना धारा 336 के तहत आरोपी बना सकता है
- किसी विश्वविद्यालय या संस्थान की डिग्री या प्रमाण पत्र (Degree or certificate) को नकली व गलत तरीके से बनाना और उसे नौकरी या अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल करना।
- पासपोर्ट या वीज़ा में फोटो, नाम या अन्य जानकारी को बदलना या नकली पासपोर्ट या वीज़ा बनाना।
- बैंक स्टेटमेंट, इनकम टैक्स रिटर्न या अन्य वित्तीय रिकॉर्ड में हेरफेर करके लोन लेना या अन्य वित्तीय लाभ (Financial Benefits) प्राप्त करना।
- आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान पत्रों को नकली तरीके से बनाना।
- चेक या ड्राफ्ट में राशि या तारीख को बदलना।
- कंपनी के शेयर सर्टिफिकेट, बैलेंस शीट या अन्य दस्तावेजों में हेरफेर करके धोखाधड़ी करना।
- किसी अन्य व्यक्ति के इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (Electronic Signature) का दुरुपयोग (Misuse) करके दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करना।
- लोगों को धोखा देने के लिए नकली वेबसाइट बनाना या ईमेल भेजना।
- सॉफ्टवेयर लाइसेंस को क्रैक करके गलत तरीके से सॉफ्टवेयर का उपयोग करना।
- किसी व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराकर उसका गलत इस्तेमाल करना।
बीएनएस की धारा 336 में जालसाजी के अपराध का उदाहरण
एक बार प्रवीन अपने दोस्त कपिल के साथ जालसाजी करके पैसे प्राप्त करने की कोशिश करता है। जिसके लिए वो अपने दोस्त कपिल के नाम से एक नकली बैंक चेक तैयार करता है और उसे बैंक में जमा करता है ताकि उसे कपिल के खाते से पैसे मिल जाएं। प्रवीन के द्वारा किया गया यह कार्य धारा 336 के तहत जालसाजी का अपराध होता है, जिसके लिए उस पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। क्योंकि उसने जानबूझकर कपिल के नाम का झूठा दस्तावेज़ बनाया और धोखे से पैसे हासिल करने का इरादा रखा।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 336 के अपराध में क्या सजा मिलती है?
बीएनएस की धारा 336 के अपराध में सजा (Punishment) को अपराध की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग प्रकार से इसकी उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा बताया गया है जो कि इस तरह से है:-
- BNS 336(2) की सजा:- जो कोई भी व्यक्ति इस अपराध को करता है यानी जानबूझकर कोई झूठे दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को बनाता है। ताकि उसके द्वारा किए गए कार्य से किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचे तो उसे सजा के रूप में दो साल तक की जेल (Imprisonment) हो सकती है। इसके अलावा उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, या कुछ मामलों में दोनों सजा भी दी जा सकती हैं।
- BNS 336(3) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति धोखाधड़ी करने के इरादे से जालसाजी करता है तो उसे अधिक सख्त सजा का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रकार की जालसाजी के लिए दोषी व्यक्ति को सात साल तक की जेल हो सकती है, और इसके साथ उसे जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
- BNS 336(4) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति इस इरादे से जालसाजी करता है कि जाली दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उपयोग किसी व्यक्ति या पार्टी की प्रतिष्ठा (इज़्ज़त या नाम) को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाएगा। तो उसे सजा के तौर पर तीन साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही, उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।