Friday, April 25, 2025

बीएनएस धारा 126 (1) (2) क्या है | BNS 126 in Hindi – सजा और जमानत

भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 में बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को किसी दिशा में जाने से रोकता है। जहाँ जाने का उस व्यक्ति को अधिकार है, तो ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति पर धारा 126 के तहत कार्यवाही की जाएगी। सेक्शन 126 को 2 मुख्य भागों में बाँटा गया है:-

BNS 126(1):- इसमें केवल इस अपराध की परिभाषा (Definition) के बारे में बताया गया है, कि जो भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को जानबूझकर (Intentionally) किसी ऐसी जगह जाने से रोकता है, जहाँ जाने का उस व्यक्ति को पूरा अधिकार है। लेकिन फिर भी उसे वहाँ जाने से रोकने की कोशिश की जाती है तो ऐसे कार्यों को अपराध माना जाता है। जिसके तहत सेक्शन 126 में कार्यवाही की जा सकती है।

BNS 126(2):- बीएनएस सेक्शन 126 की उपधारा (2) में इस अपराध की सजा (Punishment) के बारे में बताया गया है, कि जो भी व्यक्ति किसी के आने जाने में बाधा (Obstacle) उत्पन्न करेगा व कानूनी रुप से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस की धारा 126 के जुर्म की मुख्य बातें

  • जानबूझकर किया जाना:- इसमें किसी व्यक्ति को रोकने का कार्य जानबूझकर किया जाना चाहिए। अचानक सामने आ जाना या अनजाने में रोकना गलत तरीके से रोके जाने का अपराध नहीं माना जाएगा।
  • बाधा: आरोपी व्यक्ति के द्वारा पीड़ित की आवाजाही (आने-जाने) को रोकने के लिए शारीरिक अवरोध (Physical barrier) बनाना चाहिए या रोकने के लिए धमकी (Threat) दी जानी चाहिए।
  • आगे बढ़ने का अधिकार: जिस व्यक्ति को रोका जा रहा है, उसके पास उस दिशा या रास्ते पर आगे बढ़ने का कानूनी अधिकार (Legal Rights) होना चाहिए।


उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को सार्वजनिक रास्ते (Public Place) पर आने जाने से रोकना गलत होगा, लेकिन आपकी निजी संपत्ति (Private Property) के अंदर किसी व्यक्ति को आने जाने से रोकना गलत नहीं होगा।

BNS Section 126 के तहत अपराध माने जाने वाले मुख्य कार्य

  • किसी व्यक्ति को बिना उसकी सहमति के कमरे में बंद कर देना।
  • किसी व्यक्ति को सड़क पर चलने से रोकना।
  • ट्रेन या बस में चढ़ने से किसी को रोकना।
  • यदि आप किसी व्यक्ति को आपकी संपत्ति से बाहर निकलने से रोकते हैं, तो वह भी अपराध माना जाता है।
  • किसी व्यक्ति को उसके काम पर जाते समय रोकना, या रोकने के लिए धमकी देना।
  • आप किसी व्यक्ति को अस्पताल जाने से रोकते हैं, तो यह भी अपराध माना जाएगा।


इससे अलग भी बहुत सारे ऐसे कार्य हो सकते है, जिनको करना भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 के तहत अपराध माना जा सकता है।

बीएनएस धारा 126 का आपराधिक उदाहरण

अजय नाम का एक व्यक्ति एक सोसाइटी में रहता था, रोजाना सुबह 8 बजे वो अपने आफिस के लिए निकलता था। एक दिन जब अजय आफिस अपनी गाड़ी से जा रहा था, तो प्रदीप नाम के एक व्यक्ति ने जानबूझकर बाहर से दरवाजे को बंद कर दिया। प्रदीप अजय से किसी बात को लेकर नफरत करता था, जिसके कारण वह अकसर उसे तंग करने के लिए कुछ ना कुछ करता रहता था। अजय बहुत देर तक वही पर फंसा रहा और अपने आफिस के लिए लेट हो गया।

जिसके बाद अजय को बहुत गुस्सा आया और उसने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस के आने के बाद अजय ने सारी बात विस्तार से बताई। जिसके बाद पुलिस ने अजय कि शिकायत पर प्रदीप के खिलाफ BNS Section 126 के तहत मामला दर्ज कर प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया।

BNS Section 126 (2) में दोषी को सज़ा (Punishment) कितनी होती है

बीएनएस की धारा 126 के तहत गलत तरीके से रोकने के लिए सजा के बारे में 126 की उपधारा 2 में बताते हुए कहा गया है कि जो भी व्यक्ति किसी को गलत तरीके से रोकने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे एक महीने तक की जेल व 5000 रुपये के जुर्माने से दंडित (Punished) किया जा सकता है। कुछ मामलों में अदालत कारावास और जुर्माना दोनों भी लगा सकती है।

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