आज हम एक ऐसे अपराध के बारे में बात करने जा रहे हैं जो महिलाओं के लिए एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। यह एक ऐसा अपराध है, जिसमें किसी महिला पर हमला करके उसे कपड़े उतारने या नग्न होने के लिए मजबूर किया जाता है। यह एक ऐसा कार्य है जो न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी किसी महिला को तबाह कर सकता है। समाचारों में आए दिन ऐसी खबरें आती रहती हैं जिसमें इस तरह के कार्यों को अंजाम दिया गया जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला करने के अपराध से जुड़ी भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में समझेंगे कि, बीएनएस की धारा 76 क्या है (BNS Section 76 in Hindi)? धारा 76 कब व किन व्यक्तियों पर लागू होती है? इस धारा के दोषी को सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है?
हमारे समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों ने हमें एक नई चुनौती के सामने खड़ा कर दिया है। आज से कुछ महीने पहले तक इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354B का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब BNS के लागू होने के बाद से इन मामलों में भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 लगाई जा रही है। आज का हमारा यह लेख आपके लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको इस कानूनी मुद्दे के संबंध में सभी प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी देगा।
बीएनएस की धारा 76 क्या है, कब लगती है – BNS Section 76 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 जो महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान (Safety & Respect) के लिए बनाई गई है। यह धारा उन सभी अपराधों को कवर करती है जिनमें किसी महिला को जानबूझकर शर्मिंदा (Intentionally embarrassed) किया जाता है, या उसे उसके कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया जाता है।
सरल शब्दों में कहे तो, यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को अपमानित करने या उसके कपड़े उतारने के इरादे से उस पर हमला (Attack) करता है या आपराधिक बल (Criminal Force) का प्रयोग करता है, तो वह इस धारा के अंतर्गत अपराधी माना जाता है।
BNS 76 के अपराध से जुड़े मुख्य तत्व
- यह धारा सिर्फ महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों पर लागू होती है।
- इसमें अपराध करने वाला व्यक्ति जानबूझकर महिला को शर्मिंदा करने या उसके कपड़े उतारने का प्रयास करता है।
- अपराध का मुख्य उद्देश्य महिला को शर्मिंदा करना या उसे उसके कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना ही होता है।
- अपराध के दौरान महिला को शारीरिक या मानसिक (Physically Or Mentally) रूप से नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
- अगर कोई व्यक्ति धारा 76 के तहत दोषी (Guilty) पाया जाता है तो उसे जेल की कैद व जुर्माने की सजा से दंडित (Punished) किया जा सकता है।
बीएनएस धारा 76 का आपराधिक उदाहरण
रिया एक कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा है। एक दिन वह बस से घर लौट रही थी। बस में एक अजनबी व्यक्ति ने उससे लगातार छेड़छाड़ की और उसे अपमानजनक टिप्पणियां कीं। जब रिया ने इस बात का विरोध किया तो उस व्यक्ति ने उसे धक्का दे दिया और उसके कपड़े फाड़ने की कोशिश की।
इस तरह के गलत कार्य करना BNS Section 76 के तहत गंभीर अपराध है। इस मामले में, व्यक्ति ने जानबूझकर रिया को शर्मिंदा किया और रिया की गरिमा (Dignity) को ठेस पहुंचाई।
BNS Section 76 के तहत अपराध में किए जाने वाले कुछ कार्य
- यदि कोई व्यक्ति महिला के कपड़े खींचकर उसे अपमानित (Insulted) करने की कोशिश करता है।
- किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध नग्न (Naked) करने का प्रयास करना।
- महिला पर दबाव डालना या धमकी देना कि वह अपने कपड़े उतारे।
- सार्वजनिक स्थान (Public Places) पर या भीड़ में महिला के कपड़े खींचने का प्रयास करना।
- किसी महिला को जबरदस्ती पकड़कर उसके कपड़े उतारने की कोशिश करना।
- महिला को शारीरिक या मानसिक धमकी (Threat) देकर उसके कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना।
- इरादतन (Intentionally) किसी महिला के कपड़ों को फाड़ना ताकि उसे अपमानित किया जा सके।
- महिला पर शारीरिक बल का प्रयोग करना ताकि वह अपने कपड़े उतार दे।
- किसी महिला को धमकाकर या डराकर उसे कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना।
बीएनएस की धारा 76 के जुर्म में दोषी व्यक्तियों को मिलने वाली सजा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 के अंतर्गत किसी महिला पर हमला करना या आपराधिक बल का प्रयोग करके उसे कपड़े उतारने या नग्न (Naked) होने के लिए मजबूर करना एक गंभीर अपराध (Serious Offence) माना गया है। इसलिए इस अपराध के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है, ताकि महिलाओं की गरिमा की रक्षा की जा सके। इस धारा के अंतर्गत अपराधी को कम से कम तीन साल और ज्यादा से ज्यादा सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है, जिसका उद्देश्य इस प्रकार के कार्यों को रोकने के लिए अपराधी को आर्थिक दंड (Financial Penalty) देना है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 में आरोपी के लिए जमानत का प्रावधान है?
बीएनएस धारा 76 में महिलाओं के साथ किए जाने वाले इस अपराध को गैर-जमानती (Non-Bailable) रखा गया है। इसका मतलब है कि इस अपराध में आरोपी को आसानी से जमानत (Bail) नहीं मिल सकती है। आरोपी को जमानत पाने के लिए अदालत में विशेष अनुरोध करना होगा, और अदालत इस पर विचार करने के बाद ही जमानत देने का निर्णय लेगी। इसके साथ ही यह एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। इसका उद्देश्य अपराध के तुरंत बाद कार्रवाई करना और महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
यह अपराध सत्र न्यायालय (Sessions Court) द्वारा विचारणीय (Triable) होता है। इसका मतलब है कि इस अपराध की सुनवाई और निपटारा सत्र न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा किया जाता है।
महिलाओ के साथ अपराध की कुछ अन्य धाराएं:
- BNS 74 (महिला पर आपराधिक हमला)
- BNS 75 (यौन उत्पीड़न)
- BNS 77 (तक झाँक)
- BNS 78 (महिला का पीछा करना)
- BNS 79 (महिला का अपमान)