Thursday, June 19, 2025
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संगठित अपराध की बीएनएस धारा 111 में सजा और जमानत – BNS 111 in Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 111 जो संगठित अपराध (Organized Crime) से संबंधित है। संगठित अपराध एक गंभीर अपराध है जिसमें कई लोग मिलकर एक साथ अपराध करते हैं। इन अपराधों में डकैती, हत्या, जबरन वसूली, तस्करी, और कई अन्य अपराध (Crime) शामिल हो सकते हैं। धारा 111 का उद्देश्य संगठित अपराध को रोकना और इसमें शामिल व्यक्तियों को दंडित (Punished) करना है।

  1. बीएनएस की धारा 111(1):- इसमें केवल संगठित अपराध की परिभाषा (Definition) के बारे में बताया गया है। जिसमें अपराधी या अपराधियों का समूह मिलकर एक योजना (Plan) के तहत गैरकानूनी गतिविधियों (Illegal Activities) को अंजाम देते हैं। यह अपराध अक्सर लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रियाओं के तहत होता है, और इसमें आर्थिक लाभ या अन्य भौतिक फायदे की प्राप्ति के लिए हिंसा, धमकी, भ्रष्टाचार, जबरन वसूली जैसी गतिविधियों का सहारा लिया जाता है।
  2. बीएनएस की धारा 111(2): इसमें संगठित अपराध को करने के लिए किए जाने वाले प्रयास (Attempt) व उसके परिणामों के कारण किसी की मृत्यु होने या मृत्यु ना होने पर दी जाने वाली सजा (Punishment) के बारे में बताया गया है।
  3. बीएनएस की धारा 111(3): इसका उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों पर कड़ी सजा का प्रावधान (Provision) करना है, जो सीधे तौर पर संगठित अपराध में शामिल नहीं होते, लेकिन उसकी योजना, साजिश, या तैयारी में मदद करते हैं। धारा 111(3) के तहत केवल अपराध करने वालों को ही नहीं बल्कि उन्हें सहायता या सुविधाएं देने वालों को भी गंभीर दंड (Severe Penalties) दिया जाता है।
  4. बीएनएस सेक्शन 111(4):- अगर कोई व्यक्ति किसी संगठित अपराध को करने वाले गिरोह (Gang) का सदस्य है, तो उसे धारा 111(4) के तहत दोषी ठहराया जाएगा। इसका मतलब यह है कि केवल गिरोह में शामिल होने से भी किसी व्यक्ति को सजा मिल सकती है, भले ही उसने कोई अपराध नहीं किया हो।
  5. बीएनएस सेक्शन 111(5):- अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर संगठित अपराध के अपराधी या संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य को अपने घर में छिपाता है या उसे पुलिस से बचाने का प्रयास करता है। तो उसे धारा 111(5) के तहत दोषी माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अपराधी को छिपाने में मदद करता है या उसे शरण देता है, तो उसे भी सजा मिलेगी। अपवाद:- इस उपधारा में एक विशेष छूट का प्रावधान किया गया है। अगर संगठित अपराधी को उसका पति या पत्नी आश्रय देता है या छिपाने की कोशिश करता है, तो इस उपधारा के तहत वह व्यक्ति सजा से मुक्त रहेगा। यह छूट केवल पति-पत्नी के संबंध में दी गई है।
  6. बीएनएस सेक्शन 111(6):- अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसी संपत्ति (Property) को अपने पास रखता है, जो संगठित अपराध के माध्यम से प्राप्त की गई है, जैसे कि ड्रग्स, मानव तस्करी, जबरन वसूली या अन्य अवैध गतिविधियों से प्राप्त पैसे तो वह व्यक्ति इस उपधारा के तहत दोषी (Guilty) माना जाएगा।
  7. बीएनएस सेक्शन 111(7):- चल या अचल संपत्ति: इसमें ऐसी संपत्तियां शामिल होती हैं, जैसे ज़मीन, घर, गाड़ी, नकदी या अन्य मूल्यवान चीजें। अगर किसी व्यक्ति के पास ऐसी संपत्ति होती है और वह उसका वैध स्रोत (Legitimate sources) नहीं बता पाता तो उसे दोषी माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर संपत्ति संगठित अपराध से प्राप्त की गई है और व्यक्ति उसे अपने पास रखे हुए है, लेकिन वह यह साबित नहीं कर सकता कि यह संपत्ति उसे कैसे और कहां से मिली तो उसे इस उपधारा के तहत सजा दी जाएगी।

धारा 111 के तहत अपराध को साबित करने के लिए आवश्यक तत्व

  1. संगठित अपराध का होना: इसमें अपराध को साबित करने के लिए यह साबित करना होगा कि एक संगठित अपराध हुआ है।
  2. आरोपी की संलिप्तता: यह साबित करना होगा कि आरोपी (Accused) इस अपराध में शामिल था।
  3. आरोपी का जानना: यह साबित करना होगा कि आरोपी जानता था कि वह जो कर रहा है वह एक अपराध है।

कुछ ऐसे कार्य जिनको किए जाने पर धारा 111 लग सकती है

  • किसी व्यक्ति को चोरी, डकैती, हत्या या किसी अन्य अपराध करने के लिए कहना।
  • किसी अपराध को अंजाम देने में किसी व्यक्ति की मदद करना, जैसे कि अपराध के लिए हथियार उपलब्ध कराना, या अपराधी को छिपाने में मदद करना।
  • किसी अपराध को अंजाम देने की योजना बनाना या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर अपराध करने की साजिश (Conspiracy) करना।
  • किसी अपराधी को पकड़े जाने से बचाने के लिए उसे शरण देना या छिपाना।
  • अगर किसी व्यक्ति को पता है कि कोई अपराध होने वाला है या हुआ है, और वह पुलिस को सूचना नहीं देता है, तो वह भी अपराध में शामिल माना जा सकता है।
  • किसी ऐसे संगठन का सदस्य बनना जो गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होता है।
  • किसी अपराध से प्राप्त धन को छुपाना या उसे सफेद करना।
  • किसी अपराध को अंजाम देने के लिए जाली दस्तावेज (Forged Documents) तैयार करना या उनका उपयोग करना।
  • किसी व्यक्ति को धमकाकर उससे पैसे वसूलना या उससे कोई काम करवाना।

संगठित अपराध​ की इस धारा का उदाहरण

कपिल नाम का एक व्यक्ति एक संगठित अपराध सिंडिकेट का सदस्य (Member) है जो ड्रग्स की तस्करी में शामिल है। इस सिंडिकेट का उद्देश्य अवैध रूप से ड्रग्स का व्यापार करके पैसे कमाना है। कपिल इस अपराध में ड्रग्स बेचने के लिए लोगों को धमकी और जबरदस्ती करता है। अगर कपिल की ड्रग्स की तस्करी की गतिविधियों के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है (जैसे कि ड्रग्स के ओवरडोज से), तो उस पर BNS 111 (2) के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

इसके बाद कपिल ने अपने सिंडिकेट के लिए नई ड्रग्स लाने की साजिश रचता है और तस्करी के लिए किसी अन्य व्यक्ति को सहायता प्रदान करता है, जिसके लिए उस पर उपधारा (3) लागू हो सकती है।

एक दिन कपिल राहुल नाम के किसी व्यक्ति को सिंडिकेट का सदस्य होने के नाते अपने घर पर छिपाने में मदद करता है जिसके कारण उस पर उपधारा (4) व उपधारा (5) लागू की जा सकती है।

एक दिन पुलिस कपिल को पकड़ लेती है और उसकी संपत्ति के बारे में पूछताछ करती है। यदि कपिल ने संगठित अपराध से हासिल की चल या अचल संपत्ति को अपने पास रखा और इसका संतोषजनक हिसाब नहीं दे पाया (जैसे कि घर और गाड़ी जो उसने ड्रग्स से प्राप्त पैसे से खरीदी), तो उस पर BNS 111 की उपधारा (6) व (7) लागू हो सकती है।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 111 के अपराध की सजा

बीएनएस की धारा 111 के अपराध में सजा (Punishment) को अलग-अलग उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा अपराध की गंभीरता के अनुसार बताया गया है। जो इस प्रकार से है:-

BNS 111(2) की सजा:- इसमें संगठित अपराध करने या प्रयास करने वाले व्यक्ति के लिए दो तरह की सजा का प्रावधान (Provision) किया गया है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि अपराध का परिणाम क्या होता है।

  1. अगर संगठित अपराध करने के कारण किसी व्यक्ति की मौत (Death) हो जाती है, तो दोषी व्यक्ति को मौत की सजा या आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा दी जा सकती है।

इसके अलावा उसे जुर्माना भी देना होगा, जो दस लाख रुपये से कम नहीं होगा। मतलब दस लाख रुपये या इससे अधिक का जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।

  1. अगर संगठित अपराध के कारण किसी की मौत नहीं होती है, तो अपराधी को कम से कम पांच साल की जेल होगी और यह सजा जिंदगी भर तक बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा उस पर पांच लाख रुपये या उससे ज्यादा का जुर्माना भी लगाया जाएगा।

BNS 111(3) की सजा:- इसके अनुसार संगठित अपराध से संबंधित किसी भी तरह की योजना बनाने या सहयोग करने के दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों को कम से कम 5 साल की सजा और पांच लाख रुपये या उससे अधिक का जुर्माना लगाया जाएगा। यह सजा परिस्थिति के आधार पर आजीवन कारावास तक भी बढ़ाई जा सकती है।

BNS 111(4) की सजा:- अगर व्यक्ति संगठित अपराध के किसी गिरोह (Gang) का हिस्सा है, तो उसे कम से कम 5 साल की जेल की सजा दी जाएगी। अपराध की गंभीरता के आधार पर सजा को उम्रकैद तक भी बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही उसे कम से कम 5 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा, और यह जुर्माना इससे अधिक भी हो सकता है।

BNS 111(5) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति संगठित अपराध के अपराधी को छिपाने या उसे शरण देने का प्रयास करता है, तो उसे कड़ी सजा दी जाएगी। जिसमें दोषी व्यक्ति को कम से कम 3 साल की जेल होगी। अगर अपराध ज्यादा गंभीर है, तो उसे आजीवन कारावास की सजा भी दी जा सकती है। इसके साथ ही उसे पाँच लाख रुपये या उससे अधिक का जुर्माना देना होगा।

BNS 111(6) की सजा:- उपधारा (6) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति संगठित अपराध से प्राप्त धन या संपत्ति को अपने पास रखता है या उसका उपयोग करता है, तो उसे कम से कम 3 साल की सजा और 2 लाख रुपये या उससे अधिक का जुर्माना भुगतना पड़ेगा। यह सजा परिस्थिति के आधार पर उम्रकैद तक भी बढ़ाई जा सकती है।

BNS 111(7) की सजा:- अगर किसी व्यक्ति के पास संगठित अपराध सिंडिकेट से जुड़ी संपत्ति है और वह उसका वैध हिसाब नहीं दे सकता, तो उसे कम से कम 3 साल की जेल और 1 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भुगतना पड़ेगा। इसके अलावा उसकी संपत्ति को भी जब्त (seized) कर लिया जाएगा। इसमें सजा की अवधि परिस्थिति के आधार पर 10 साल तक बढ़ाई जा सकती है।

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