भारतीय न्याय संहिता की धारा 77 ताक-झांक (Voyeurism) के अपराध से संबंधित है। जिसमें किसी महिला की निजी गतिविधियों (Private Activities) को बिना उनकी जानकारी और अनुमति के देखने, रिकॉर्ड करने, या उनकी तस्वीर लेना अपराध माना जाता है। यह धारा किसी भी पुरुष को एक महिला को ऐसी स्थिति में देखना या उसकी तस्वीर लेना अपराध मानती है। जिसमें महिला को यह अपेक्षा हो कि उसे नहीं देखा जा रहा है, और उसने इसके लिए सहमति नहीं दी है।
इसका मतलब है कि जब कोई व्यक्ति किसी महिला को कोई निजी कार्य करते देखता है व उसकी फोटो या वीडियो बनाता है। जिस समय महिला कुछ ऐसा निजी कार्य कर रही होती है या ऐसी स्थिति में होती है। जिसमें किसी के भी द्वारा उसे देखा नहीं जाना चाहिए तो वह एक अपराध माना जाता है।
उदाहरण:- जैसे यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की नहाते हुए या कपड़े बदलते समय बिना उस महिला की अनुमति के छिपकर वीडियों बनाता है तो उस पर BNS की धारा 77 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
“निजी कार्य” की परिभाषा
धारा 77 के तहत “निजी कार्य” का मतलब होता है जिसको करते समय किसी महिला के जननांग (Genitals), पीछे का हिस्सा या स्तन (Breast) दिखाई देते हो। या केवल अंडरवियर में ढके होते हैं, या वह किसी व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बना रही होती है। जैसे कोई महिला शौचालय का उपयोग कर रही है तो उसे गोपनीयता की आवश्यकता होती है।
बीएनएस धारा 77 लगने के लिए मुख्य बिंदु
- किसी महिला को बिना उसकी सहमति (Consent) के निजी क्षणों (Private Moments) में रिकॉर्ड करना, चाहे वह वीडियो या फोटो के रूप में हो।
- किसी व्यक्ति को बिना उसकी सहमति के ऐसे स्थान पर देखना जिसे वह पूरी तरह से निजी समझता हो, जैसे कि बाथरूम या बेडरूम।
- किसी महिला की अनुमति के बनाई गई रिकॉर्डिंग को दूसरों के साथ साझा करना।
- धारा 77 के तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को कैद व जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है।
धारा 77 के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?
- किसी महिला की कपड़े बदलते समय तस्वीरें लेना।
- किसी महिला की सहमति के बिना उसकी व्यक्तिगत तस्वीरों (Personal Photos) को इंटरनेट पर अपलोड करना।
- वॉशरूम में छिपे हुए कैमरे (Hidden Camera) से उसकी रिकॉर्डिंग करना।
- स्वीमिंग पूल या घर में नहा रही महिला छिपकर देखना या रिकॉर्ड करना।
- किसी महिला के दफ्तर (Office) के चेंजिंग रूम में छिपकर उसकी तस्वीर लेना।
- शौचालय में महिला की छिपे हुए कैमरे से फोटो लेना।
- किसी महिला के घर की खिड़की से उसको किसी व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध (Physical Relation) बनाते समय देखना।
बीएनएस सेक्शन 77 के जुर्म का उदाहरण
रिया एक कॉलेज की छात्रा थी जो कुछ सालों से अपने हॉस्टल में रहती थी। एक दिन जब रिया अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तब रिया को यह नहीं पता था कि उसके कमरे के वेंटिलेशन में अमित नाम के एक लड़के ने एक छोटा कैमरा छिपा रखा था। अमित जो उसी कॉलेज का छात्र था, उसने इस कैमरे के जरिए रिया के बहुत से निजी पलों को रिकॉर्ड कर लिया। जिसके बाद में अमित ने यह वीडियो अपने दोस्तों को दिखाया और सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर दिया।
इस मामले में अमित ने रिया की सहमति के बिना उसकी गोपनीयता का उल्लंघन किया, जो कि BNS Section 77 के तहत एक गंभीर अपराध है। रिया को जब इस बात का पता चला तो उसने अमित की शिकायत पुलिस में कर दी। जिसके बाद पुलिस ने अमित को गिरफ्तार कर लिया व उस पर धारा 77 के तहत केस दर्ज कर कार्यवाही की गई।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 77 के तहत सजा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 77 के तहत महिलाओं की गोपनीयता (Women’s Privacy) का उल्लंघन करने वाले दोषी (Guilty) व्यक्तियों के लिए सख्त से सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति इस अपराध को करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे पहली बार इस अपराध को करने की सजा के तौर पर कम से कम 1 साल की कैद जिसे अधिकतम 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जिसकी राशि न्यायालय द्वारा निर्धारित की जाती है।
लेकिन यदि वही व्यक्ति दोबारा इस अपराध को करता है और धारा 77 के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 3 साल की कैद की सजा (Punishment) दी जाएगी, जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।
बीएनएस की धारा 77 में जमानत का प्रावधान
BNS Section 75 के तहत दर्ज किए गए अपराध संज्ञेय (Cognizable) और जमानतीय (Bailable) होते हैं। इसका मतलब यह है कि पुलिस इस अपराध में आरोपी व्यक्ति को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तारी कर सकती है। जिसके बाद आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जा सकता है। आरोपी व्यक्ति जमानत (Bail) के लिए अपने वकील की सहायता से मजिस्ट्रेट के सामने जमानत के लिए आवेदन कर जमानत प्राप्त कर सकता है। इस अपराध से संबंधित केस सत्र न्यायालय (Sessions Court) द्वारा विचारणीय (Triable) होते है।
BNS 77 के तहत आरोपी व्यक्तियों के लिए कुछ आवश्यक बचाव
- यदि आरोपी यह साबित कर सकता है कि महिला ने आरोपी (Accused) के द्वारा किए गए कार्यों के करने के लिए सहमति दी थी, तो इस अपराध में बचाव हो सकता है।
- अगर किसी महिला ने आरोपी व्यक्ति को फंसाने के लिए झूठे आरोप (False Blame) लगाए है और आरोपी के पास खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए सबूत (Evidence) है तो उन्हें वह अपने बचाव के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
- यदि आरोपी व्यक्ति यह साबित कर सके कि किसी अन्य व्यक्ति ने उसके मोबाइल या कैमरा का इस्तेमाल करके इस अपराध को किया है तो इससे भी उसका बचाव हो सकता है।
- अगर आरोपी घटना के समय घटना स्थल पर मौजूद नहीं था और उसके पास उसके उस जगह उपस्थित ना होने के आवश्यक सबूत है तो भी बचाव हो सकता है।
- आरोपी के पास अगर कोई गवाह (Witness) हैं जो अदालत में यह साबित कर सकें कि आरोपी निर्दोष है या उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं।
- ऐसे मामलों में आरोपी व्यक्ति को एक वकील की सहायता जरुर लेनी चाहिए, जो आपके केस को अच्छे से समझकर व आप पर लगे आरोपों की जांच करके बचाव के उपायों को इस्तेमाल करेगा।