भारतीय न्याय संहिता की धारा 354 एक कानूनी प्रावधान (Legal Provision) है जो किसी व्यक्ति को धार्मिक या आध्यात्मिक (Religious Or Spiritual) डर दिखाकर उसे कुछ करने या न करने के लिए मजबूर करने से संबंधित है। इसका अर्थ यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को यह कहते हुए डराता है कि अगर वह उसकी बात नहीं मानेगा तो उसे भगवान की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा या कोई अनहोनी घटित होगी तो यह कानूनी रूप से अपराध माना जाएगा।
उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति यह कहकर किसी को डरा रहा है कि “अगर तुम यह काम नहीं करोगे, तो भगवान तुम्हें दंड देंगे” या “तुम्हारे साथ बुरा होगा” तो यह उस व्यक्ति के द्वारा धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग (Misuse) किया गया है। जिसे कानूनन गलत व अपराध माना गया है।
BNS की धारा 354 को लागू करने वाली मुख्य बाते
- स्वेच्छा से प्रेरित करना: अगर कोई व्यक्ति किसी को ऐसा काम करने के लिए कहता है, जिसे वह कानूनी रूप से करने के लिए मजबूर नहीं है, जैसे कि अपने पैसे किसी और को देना या कोई अनुचित कार्य करना तो यह अपराध है।
- कानूनी अधिकार को रोकना: अगर कोई व्यक्ति किसी के कानूनी अधिकार (जैसे कि अपनी संपत्ति रखने का अधिकार) को रोकने की कोशिश करता है और कहता है कि “अगर तुमने ऐसा किया तो भगवान नाराज हो जाएंगे,” तो वह भी अपराध है।
- दैवीय अप्रसन्नता का डर: कोई व्यक्ति अगर किसी दूसरे को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि अगर वह उसकी बात नहीं मानेगा, तो भगवान या कोई दैवीय शक्ति उससे नाराज हो जाएगी और उसका जीवन खराब हो जाएगा तो यह भी एक कानूनी अपराध है।
बीएनएस सेक्शन 354 के जुर्म का सरल उदाहरण
श्याम एक छोटे से शहर में रहता था। एक दिन उसके पड़ोसी ने उसे बताया कि उसके घर में भूत-प्रेत हैं और उसके कारण उसके परिवार को नुकसान हो रहा है। पड़ोसी ने श्याम को कहा कि वह एक तांत्रिक के पास जाए जो इस समस्या का समाधान कर सकता है। जब श्याम तांत्रिक के पास गया तो उस तांत्रिक ने श्याम से कहा कि उसे एक बड़ी रकम देनी होगी और कुछ विशेष अनुष्ठान करने होंगे। डर के मारे श्याम ने तांत्रिक को पैसे दे दिए और उसके कहे अनुसार सब कुछ किया। इस मामले में तांत्रिक ने श्याम की आस्था का फायदा उठाकर उसे ठगा। इसलिए उस पर BNS की धारा 354 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 354 के अपराध के दोषी को सजा कितनी मिलती है
BNS की धारा 354 में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को एक वर्ष तक की कारावास व जुर्माना (Imprisonment or Fine), या दोनों से दंडित (Punished) किया जा सकता है। इसका मतलब है कि आरोपी को एक साल तक जेल भेजा जा सकता है, या उस पर आर्थिक दंड (जुर्माना) लगाया जा सकता है, या दोनों ही सजा एक साथ दी जा सकती हैं। सजा की अवधि और जुर्माने की राशि (Amount) अदालत द्वारा मामले की गंभीरता के आधार पर तय की जाती है।