भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 में व्यपहरण (Kidnapping) के अपराध के बारे में बताया गया है। व्यपहरण का मतलब होता है, किसी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना उसके माता-पिता या कानूनी रुप से वैध अभिभावक (Legal Guardian) ( जैसे दादा दादी-नाना नानी व अन्य) से बहला फुसला कर दूर ले जाना। इस अपराध को करने के लिए आरोपी द्वारा बल, धोखाधड़ी या छल का भी प्रयोग किया जा सकता है।
कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 359, से लेकर 363 तक व्यपहरण व इससे जुड़े मामलों में लागू होती थी। परन्तु कुछ समय पहले ही लागू हुए नए कानून बीएनएस (BNS) की धारा 137 में इन सभी धाराओं (Sections) को एक साथ जोड़ दिया गया है। अब से इस प्रकार के सभी मामलों में बीएनएस की धारा 137 के तहत ही मुकदमे दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।
BNS की धारा 137 दो प्रकार से अपराध के बारे में बताती है:-
- भारत से व्यपहरण:- इसका मतलब है किसी व्यक्ति को उसकी अनुमति या उसके कानूनी अभिभावक की अनुमति के बिना भारत की सीमाओं (Borders of India) से बाहर ले जाना। इसमें माता-पिता की सहमति के बिना बच्चे को विदेश ले जाना या किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध देश छोड़ने के लिए मजबूर करना शामिल हो सकता है।
- वैध अभिभावक के संरक्षण से अपहरण: यह धारा 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों व मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्तियों को उनके माता-पिता या किसी भी कानूनी अभिभावक की अनुमति लिए बिना ले जाने पर लागू होती है। इसमें मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति की आयु कितनी भी हो सकती है।
Note:- कानूनी अभिभावक ऐसा व्यक्ति, जैसे माता-पिता, या न्यायालय द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को उस बच्चे की देखभाल का जिम्मा (Responsibility) सौंप दिया जाता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 की मुख्य बातें:-
- पीड़ित (Victim) या तो बच्चा होना चाहिए या कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो अस्वस्थ दिमाग वाला समझा जाता हो, जिसका अर्थ है कि उनमें स्थिति को समझने और उचित सहमति प्रदान करने की मानसिक क्षमता (Mental Capacity) नहीं है।
- यह कार्य पीड़ित के वैध अभिभावक (Legal Guardian) की सहमति के बिना किया जाना चाहिए। अभिभावक माता-पिता, कानूनी संरक्षक या कोई अन्य व्यक्ति हो सकता है जिसे कानूनी रूप से पीड़ित की देखभाल सौंपी गई हो।
- पीड़ित को उसके कानूनी अभिभावक की देखभाल और नियंत्रण से दूर ले जाया गया है।
- बिना सहमति के देश से बाहर ले जाया गया हो।
- सहमति अगर कपट (Fraud), बहला फुसला कर या किसी दबाव में आकर दी गई है तो भी वह व्यपहरण ही माना जाएगा।
- 18 वर्ष से कम आयु का कोई भी लड़का या लड़की या मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति अपनी सहमति से भी किसी के साथ चला जाता है, तब भी ऐसे मामले को व्यपहरण का अपराध ही माना जाएगा। क्योंकि नाबालिग (Minor) व मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति वैध (Valid) सहमति देने में असमर्थ माने जाते है।
- इस धारा का मुख्य उद्देश्य बच्चों व मानसिक रुप से असमर्थ लोगों को गलत कार्यों के लिए प्रयोग किए जाने से बचाना है।
BNS Section 137 के कुछ अपवाद
कुछ परिस्थितियाँ ऐसी हैं जहाँ किसी बच्चे या किसी अस्वस्थ व्यक्ते को ले जाना BNS Section 137 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। आइये जानते है ऐसी ही कुछ जरुरी बातों के बारे में विस्तार से।
- यदि किसी व्यक्ति का बिना किसी महिला से शादी किए बच्चा हो जाता है, और किसी दिन वो अपने बच्चे को यह सोचकर अपने साथ ले जाता है कि इस पर उसका भी अधिकार है, तो यह किडनैपिंग नहीं माना जाएगा। क्योंकि इसमें उसका इरादे किसी बुरे काम को करने का नहीं है।
- यदि किसी बच्चे के माता-पिता नहीं है, और उसका कोई दूर का रिश्तेदार बच्चे की भलाई की सोचकर उसे अपने साथ किसी सुरक्षित माहौल में ले जाए तो यह भी अपराध नहीं माना जाएगा।
- अगर 18 वर्ष से ज्यादा आयु की कोई लड़की या लड़का किसी के साथ अपनी मर्जी से चले जाते है, तो भी यह अपराध नहीं माना जाएगा। ऐसा उस लड़की की मर्जी से होना चाहिए ना कि बहला फुसलाकर या किसी दबाव में आकर।
इन परिस्थितियों में भी, बच्चे को ले जाने वाले व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उनके इरादे अच्छे थे।
बीएनएस सेक्शन 137 के तहत अपराध उदाहरण
राहुल नाम का एक लड़का प्रिया नाम की एक लड़की को झूठी बातों में बहला- फुसलाकर विदेश ले जाने के लिए मना लेता है। प्रिया इस बारे में अपने घर पर अपने माता-पिता को भी कुछ नहीं बताती है। एक दिन जब वे दोनों विदेश जाने के लिए अपने घर से निकलते है तो उनके ही पड़ोस का एक व्यक्ति उन्हें देख लेता है। वो व्यक्ति उसी समय जाकर प्रिया के घर पर सारी बात बता देता है।
जिसके बाद प्रिया के माता-पिता समय रहते दोनों को पकड़ लेते है। बाद में पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर पता चलता है कि वो लड़का प्रिया को अपनी बातों में बहला फुसलाकर विदेश ले जा रहा था। जिसके बाद राहुल उस लड़की को किसी गलत कार्य के लिए इस्तेमाल करता। ऐसे अपराध को करने के जुर्म में पुलिस राहुल को BNS Section 137 के तहत गिरफ्तार कर लेती है व आगे की कार्यवाही के लिए न्यायालय में पेश करती है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 की सजा – BNS Section 137 Punishment in Hindi
बीएनएस की धारा 137 में सजा के प्रावधान (Provision) अनुसार बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी को बहला फुसलाकर या धोखे से उनके माता-पिता के संरक्षण (Protection) से बिना उनकी अनुमति के ले जाने का दोषी (Guilty) पाया जाता है। ऐसे अपराध के दोषी व्यक्ति को 7 वर्ष तक की कारावास (Imprisonment) की कैद व जुर्माने के दंड से दंडित किया जा सकता है।