भारतीय न्याय संहिता की धारा 127 उन परिस्थितियों को परिभाषित करती है, जहां किसी व्यक्ति के आने जाने की आजादी (Freedom) को जबरदस्ती रोका जाता है या उसे किसी जगह से जाने से गलत तरीके से रूप से रोका (Wrongful Confinement) जाता है। यदि कोई व्यक्ति बिना किसी वैध कारण के किसी अन्य व्यक्ति को जबरदस्ती बंदी बनाता है, उसकी गतिविधियों पर रोक लगाता है तो यह एक कानूनी अपराध है।
इस धारा के अनुसार जबरदस्ती रोकने या किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता छीनने के लिए किसी वैध कानूनी आधार की आवश्यकता होती है। यदि ऐसा कोई कारण नहीं होता और किसी व्यक्ति को उसकी मर्जी के खिलाफ रोक दिया जाता है, तो आरोपी व्यक्ति के खिलाफ यह धारा लागू कर कार्यवाही की जा सकती है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 127 में गलत तरीके से कैद करना या रोके जाने के अपराध को इसकी 8 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा विस्तार से बताया गया है, जो इस तरह से है:-
- बीएनएस धारा 127 (1):- गलत तरीके से रोका जाना – अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को इस तरह से रोकता है कि उसे एक निश्चित समय के लिए बाहर जाने या अपनी इच्छानुसार कार्य करने से रोका जाए तो इसे “गलत तरीके से रोका जाना” कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी व्यक्ति को उसकी मर्जी के खिलाफ किसी जगह पर बांध दिया जाता है या उसे किसी खास क्षेत्र से बाहर जाने से जबरदस्ती रोका जाता है, तो यह एक अपराध है और इसके लिए धारा 127(1) लागू की जा सकती है।
- बीएनएस धारा 127 (2):- अगर कोई व्यक्ति धारा 127(1) में बताई गई बातों अनुसार किसी दूसरे व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करता है, यानी उसकी मर्जी के खिलाफ उसे कहीं बंद कर देता है तो ऐसे व्यक्ति पर उपधारा 2 के तहत दंड देने की कार्यवाही की जाती है।
- बीएनएस सेक्शन 127 (3):– यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को तीन दिन या उससे अधिक समय तक गलत तरीके से कैद करता है, तो उस व्यक्ति पर धारा 127 (3) के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की जा सकती है।
- बीएनएस सेक्शन 127 (4):- अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को दस दिन या उससे अधिक समय तक गलत तरीके से कैद में रखता है, तो उसे उपधारा 127 (4) के तहत कठोर सजा का सामना करना पड़ता है।
- बीएनएस सेक्शन 127 (5):- अगर कोई व्यक्ति यह जानते हुए भी किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद में रखता है कि उस व्यक्ति की रिहाई के लिए कानूनी रूप से आदेश जारी किए गए है, तो उस व्यक्ति पर धारा 127(5) लागू कर कार्यवाही की जा सकती है।
- बीएनएस सेक्शन 127 (6):- अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को इस इरादे से गलत तरीके से कैद में रखता है कि उस व्यक्ति की कैद के बारे में किसी को भी पता न चले खासकर उस व्यक्ति के परिवार, दोस्तों या किसी लोक सेवक को, तो यह अपराध और भी गंभीर हो जाता है।
- बीएनएस सेक्शन 127 (7):- यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करता है, ताकि वह बंद व्यक्ति या उसके परिवार से किसी संपत्ति या कीमती सामान को छीन सके या उन्हें किसी अवैध काम करने के लिए मजबूर कर सके तो यह भी कानून के खिलाफ है।
- बीएनएस सेक्शन 127 (8):- यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करता है, ताकि वह बंद व्यक्ति या उसके परिवार से जबरन वसूली (Extortion) कर सके, या कोई जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करें। जिससे किसी अपराध का खुलासा हो सके तो यह गंभीर अपराध माना जाएगा। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति या मूल्यवान सामान को वापस पाने के लिए, या किसी दावे या मांग को पूरा करने के लिए दबाव डालता है तो ऐसा करने पर आरोपी व्यक्ति (Accused Person) के खिलाफ धारा 127(8) लागू कर कार्यवाही की जा सकती है।
BNS 127 के अपराध को साबित करने वाले मुख्य तत्व
- धारा 127 तब लागू होती है जब किसी व्यक्ति को उसकी मर्जी के खिलाफ किसी जगह पर जाने से रोका जाता है।
- इस धारा के तहत किसी की स्वतंत्र आवाजाही (Independent movement) को रोकने को अपराध माना जाता है। उदाहरण के लिए अगर आप किसी व्यक्ति को किसी विशेष स्थान से जाने से रोकते हैं, तो यह उसकी स्वतंत्रता पर रोक लगाने के समान है।
- यदि बिना किसी कानूनी आधार के किसी को जबरदस्ती रोका जाए।
- धारा 127 का उल्लंघन (Violation) तब माना जाता है जब व्यक्ति की सहमति के बिना उसे रोका जाए। अगर व्यक्ति की कही पर रुकने की अपनी मर्जी नहीं है और उसे जबरदस्ती कहीं कैद किया जा रहा है, तो यह कानून का उल्लंघन है।
- इस धारा के तहत व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक (Physically or Mentally) रूप से बंदी बनाना अपराध है। इसका मतलब यह है कि न केवल शारीरिक रूप से किसी को रोकना, बल्कि किसी प्रकार के डर, दबाव या मानसिक तनाव का उपयोग करके भी उसकी स्वतंत्रता छीनना इस कानून के अंतर्गत आता है।
बीएनएस की धारा 127 के अपराध में किए जाने वाले कुछ मुख्य कार्य
- बिना किसी वैध (Valid) कारण के किसी को कमरे में बंद करना और उसे बाहर निकलने से रोकना।
- किसी को उसके घर में ही नजरबंद (House Arrest) करके उसे बाहर जाने से रोकना।
- किसी को धमकाकर या बल प्रयोग करके किसी जगह पर बंधक (Hostage) बनाना।
- किसी व्यक्ति को किसी विशेष क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए बाधाएं खड़ी करना।
- किसी को जबरदस्ती किसी वाहन में बंद करके एक जगह से दूसरी जगह ले जाना।
- किसी को बिना किसी वैध कारण के किसी संस्थान (जैसे मानसिक अस्पताल, जेल आदि) में बंद करना।
- किसी व्यक्ति को किसी समूह द्वारा घेरकर उसे किसी जगह पर रोकना।
- किसी को धमकाकर या डराकर किसी जगह पर रोकना।
- किसी को किसी कार्यक्रम में भाग लेने से रोकने के लिए बल प्रयोग करना या धमकी देना।
- किसी को जबरदस्ती अपनी सेवा करने के लिए मजबूर करना।
भारतीय न्याय संहिता की सेक्शन 127 के अपराध का उदाहरण
पवन और साहिल दो दोस्त एक ही अपार्टमेंट में रहते हैं। जिसके लिए वे दोनों आधा-आधा किराया देते थे। एक दिन दोनों के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हो जाती है। गुस्से में आकर पवन साहिल के कमरे का दरवाजा बंद कर देता है और चाबी अपने पास रख लेता है। जिसके बाद साहिल के पास घर से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचता और वो वही फंसा रह जाता है। यह पवन द्वारा साहिल को गलत तरीके से बंदी बनाने के लिए धारा 127 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
बीएनएस की धारा 127 में सजा कितनी होती है
भारतीय न्याय संहिता की धारा 127 के अपराध में सजा (Punishment) को इसकी अलग-अलग उपधाराओं (Sub-Sections) में अपराध की गंभीरता के आधार पर विस्तार से बताया गया है जो इस प्रकार है:-
- BNS 127(2) की सजा:- जो कोई भी किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करेगा उसे एक वर्ष तक की जेल की सजा, या पांच हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों से दंडित (Punished) किया जाएगा।
- BNS 127(3) की सजा:- जो कोई भी किसी व्यक्ति को तीन दिन या उससे अधिक के लिए गलत तरीके से कैद करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास (Imprisonment) जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
- BNS 127(4) की सजा:- जो कोई किसी व्यक्ति को गलत तरीके से दस दिन या उससे अधिक समय तक कैद में रखेगा उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है। जो दस हजार रुपये से कम नहीं होगा।
- BNS 127(5) की सजा:- जो कोई भी किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करता है, यह जानते हुए कि उस व्यक्ति की रिहाई के लिए एक रिट (आदेश) जारी की गई है, उसे कैद करने की सजा के अलावा अलग से दो साल तक की सजा दी जा सकती है। उदाहरण: मान लीजिए कि राहुल को अदालत ने प्रदीप को रिहा करने का आदेश (Order) दिया है, लेकिन राहुल फिर भी प्रदीप को कैद में रखता है। इस स्थिति में राहुल को न केवल प्रदीप को गलत तरीके से कैद में रखने की सजा मिलेगी, बल्कि आदेश के बावजूद उसे नहीं छोड़ने पर अतिरिक्त 2 साल की सजा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- BNS 127(6) की सजा:- जो कोई किसी व्यक्ति को गलत तरीके से इस तरह से कैद करता है कि उसके बारे में किसी को भी जानकारी ना हो यानी गुप्त (Secret) तरीके से कैद करेगा, तो उसे किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।
- BNS 127(7) की सजा:- जो कोई किसी व्यक्ति को किसी कीमती वस्तु को छिनने के लिए गलत तरीके से कैद करेगा उसे तीन साल तक की जेल व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
- BNS 127(8) की सजा:- जो कोई किसी को कैद करके जबरन वसूली (Extortion) का अपराध करेगा उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के दंड से दंडित किया जाएगा।