Friday, June 20, 2025
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बीएनएस धारा 117 क्या है – सजा जमानत और बचाव | BNS 117 in Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 117 के अंतर्गत स्वेच्छा से गंभीर चोट (Grievous hurt) पहुँचाने का अपराध शामिल है। इस धारा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर और स्वेच्छा (यानि अपनी खुद की इच्छा) से किसी अन्य व्यक्ति को ऐसी चोट (Injury) पहुंचाता है जिससे गंभीर शारीरिक नुकसान होता है, तो यह अपराध धारा 117 के अंतर्गत आता है।

इस प्रकार की चोटें आमतौर पर गंभीर होती हैं, जैसे हड्डी का टूटना, आंख की रोशनी चली जाना, कान की सुनने की क्षमता का खत्म हो जाना, या किसी अंग का हमेशा के लिए बेकार हो जाना।

धारा 117 में अपराध के अलग-अलग तरीकों व परिस्थितियों को इसकी 4 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार से है:-

  • बीएनएस धारा 117 (1):- जो कोई भी किसी अन्य व्यक्ति को जानबूझकर ऐसी चोट पहुँचाता है। यह जानते हुए भी कि उससे सामने वाले व्यक्ति को ज्यादा व गंभीर चोट लग सकती है या गंभीर नुकसान हो सकता है। उस व्यक्ति पर धारा 117(1) लागू कर कार्यवाही की जाती है।
  • बीएनएस धारा 117 (2): जो भी व्यक्ति धारा 117(3) में बताए गए अपराध को छोड़कर खुद की इच्छा से किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाता है, तो उस व्यक्ति को धारा 117(2) के अनुसार सजा (Punishment) दी जाती है।
  • बीएनएस सेक्शन 117(3): यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को ऐसी चोट पहुंचाता है जो उस व्यक्ति को हमेशा के लिए विकलांग (Disabled) बना देती है या उसे बहुत लंबे समय तक गंभीर रूप से बीमार या कमजोर कर देती है, तो उस अपराध को बहुत गंभीर माना जाता है। जिसमें दोषी (Guilty) पाये जाने वाले व्यक्ति को अन्य उपधाराओं में दी गई सजा से अधिक सजा दी जा सकती है।
  • बीएनएस सेक्शन 117(4):- अगर पाँच या उससे अधिक लोगों का एक समूह (Group) किसी व्यक्ति को उसकी नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, या किसी अन्य आधार पर गंभीर चोट पहुँचाता है, तो यह अपराध बहुत गंभीर माना जाता है। समूह के प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी: इस स्थिति में उस समूह के प्रत्येक सदस्य को दोषी माना जाएगा, भले ही उन्होंने खुद चोट न पहुंचाई हो। इसका मतलब यह है कि अगर एक समूह में पांच या उससे अधिक लोग शामिल हैं और वे किसी व्यक्ति पर हमला (Attack) करते हैं, तो उस समूह के सभी लोग इस अपराध के दोषी माने जाएंगे।

BNS की धारा 117 के तहत गंभीर चोट पहुँचाने के अपराध के आवश्यक तत्व क्या हैं?

  • आरोपी (Accused) ने जानबूझकर और अपनी मर्जी से पीड़ित को चोट पहुंचाई हो। यानी उसने चोट पहुंचाने का इरादा (Intention) किया हो।
  • आरोपी द्वारा पहुंचाई गई चोट गंभीर प्रकृति की हो।
  • गंभीर चोट का मतलब है ऐसी चोट जो स्थायी विकलांगता का कारण बन सकती है।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी भीड़ के हिस्से के रूप में किसी अन्य व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाता है, तो वह भी इस धारा के तहत दोषी पाया जा सकता है।

कुछ कार्य जिनको करना धारा 117 का अपराधी बना सकता है।

  • अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी की हड्डी तोड़ता है, जैसे कि मारपीट के दौरान, तो यह गंभीर चोट मारने का अपराध माना जाता है।
  • किसी की चेहरे पर तेज़ाब (Acid) डालना जिसके कारण उसकी आँखे या शरीर का अन्य कोई हिस्सा खराब हो जाए।
  • किसी व्यक्ति को इस प्रकार से मारना या उसे चोट पहुँचाना कि उसकी सुनने की क्षमता खत्म हो जाए या बहुत कम हो जाए।
  • किसी व्यक्ति को जानबूझकर आग या किसी अन्य गर्म वस्तु से इस तरह से जलाना कि उसकी त्वचा या शरीर के अंग (Skin or Body Parts) खराब हो जाए।
  • किसी को जानबूझकर किसी भी तरीके से जहर (Poison) देना जिससे उसकी जान खतरे में पड़ जाए या उसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हों।
  • अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति पर हथियार (Weapon) से हमला करता है, जैसे कि चाकू, बंदूक, या लोहे की रॉड से, और उससे गंभीर चोट पहुँचती है।
  • जानबूझकर किसी को ऊँचाई से धक्का देकर उसे गंभीर चोट पहुँचाना, जैसे कि सीढ़ियों से गिराना आदि।
  • किसी का गला घोंटने की कोशिश करना जिससे उसे साँस लेने में दिक्कत हो और उसकी जान को खतरा हो, यह भी गंभीर चोट का अपराध है।
  • किसी को जानबूझकर बहुत ठंडी या गर्म जगह पर लंबे समय तक छोड़ना, जिससे उसकी त्वचा या शरीर को गंभीर नुकसान हो, इनमें से कोई भी कार्य करने पर धारा 117 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 117 में गंभीर चोट पहुँचाने के अपराध की सजा

बीएनएस की धारा 117 में स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुँचाने के अपराध की सजा को इस अपराध में होने वाले अन्य गंभीर नुकसानों के आधार पर अलग-अलग उपधाराओं (Sub-Sections) में बताया गया है। जो की इस तरह से है:-

  • BNS 117 (2) की सजा:- जो भी व्यक्ति उपधारा 3 में बताए गए अपराध को छोड़कर स्वेच्छा (Voluntarily) से किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाने के दोषी पाया जाएगा। उसे अधिकतम 7 वर्ष तक की कैद हो सकती है, और इसके साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है। सजा की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि अपराध की प्रकृति कितनी गंभीर है और उससे पीड़ित व्यक्ति को कितनी हानि हुई है।
  • BNS 117(3) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को ऐसी चोट पहुँचाता है जिससे वो व्यक्ति हमेशा के लिए विकलांग (Disabled) हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर कम से कम 10 साल के कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment) की सजा दी जाएगी। यह न्यूनतम सजा है, जिसका मतलब है कि इससे कम सजा नहीं दी जा सकती।
  • आजीवन कारावास: अगर अपराध बहुत गंभीर है, तो सजा 10 साल से अधिक भी बढ़ाई जा सकती है और आजीवन कारावास (Life Imprisonment) (यानी उस व्यक्ति को उसके जीवन के बाकी बचे समय के लिए जेल) तक हो सकती है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर अपराध की गंभीरता के हिसाब से जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  • BNS 117(4) की सजा:- यदि पाँच या उससे अधिक लोगों का एक समूह किसी व्यक्ति को उसकी नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा या किसी अन्य आधार पर गंभीर चोट पहुँचाता है, तो उस समूह के सभी लोग इस अपराध के दोषी (Guilty) माने जाएंगे। जिन पर इस अपराध के लिए 7 साल तक की जेल व जुर्माने का दंड लगाया जा सकता है।

बीएनएस की धारा 117 में जमानत कब व कैसे मिलती है

भारतीय न्याय संहिता की धारा 117 के तहत आने वाला स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुँचाने का यह अपराध संज्ञेय (Cognizable) यानी गंभीर श्रेणी का अपराध होता है। जो कि गैर-जमानती अपराध (Non-Bailable Offence) भी है, इसका मतलब है कि आरोपी को इसमें तुरंत जमानत (Bail) नहीं मिलती है, बल्कि जमानत के लिए उसे न्यायालय में आवेदन करना पड़ता है और परिस्थितियों के आधार पर जमानत दी जाती है या नहीं दी जाती इसका फैसला केवल न्यायालय द्वारा ही लिया जा सकता है।

यह अपराध सत्र न्यायालय (Sessions Court) द्वारा विचारणीय (Triable) होता है, साथ ही इसमें किसी भी प्रकार का समझौता भी नहीं किया जा सकता है।

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