Thursday, June 19, 2025

बीएनएस धारा 108 क्या है (BNS 108 in Hindi) – सजा जमानत और बचाव

भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 में आत्महत्या के लिए उकसाने या मजबूर (Incitement to suicide) करने के कार्य को अपराध के रुप में बताया गया है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए प्रोत्साहित (Encouraged) करता है, मजबूर करता है, या निर्देश (Instructions) देता है। तो उस व्यक्ति को धारा 108 के तहत कार्यवाही कर दंडित किया जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता 108 के लागू होने की मुख्य बातें

यह धारा निम्नलिखित स्थितियों में लागू होती है:

  • जब कोई व्यक्ति सीधा किसी दूसरे व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए कहता है।
  • जब कोई व्यक्ति ऐसी परिस्थितियां (Situations) पैदा करता है जिसके कारण दूसरा व्यक्ति आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाता है।
  • जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को आत्महत्या करने में किसी भी प्रकार से सहायता करता है।
  • यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करने का प्रयास (Attempt to suicide) करता है और वह जिंदा बच जाए, तो भी जिस व्यक्ति ने उसे ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर किया था। उस व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 108 लागू होगी।
  • किसी को दोषी साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष (Prosecutors) को यह साबित करना होगा कि उकसाने वाले का आत्महत्या को प्रोत्साहित करने या मदद करने का इरादा था। केवल किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बहस या असहमति होना पर्याप्त नहीं होगा।

आत्महत्या के लिए उकसाना क्या होता है?

मान लीजिए यदि कोई व्यक्ति किसी दिन खुद को बहुत ज्यादा परेशान (Upset) महसूस कर रहा है और आत्महत्या करने के बारे में सोच रहा है। उसी समय अगर कोई व्यक्ति उस व्यक्ति को अपनी किसी बात के द्वारा आत्महत्या करने के लिए प्रोत्साहित करता या उसकी मदद करता है। तो ऐसे कार्यों को आत्महत्या के लिए उकसाना माना जा सकता है। जैसे:- किसी व्यक्ति को ऐसा कोई सामान लाकर देना जिससे वो खुद को नुकसान पहुँचा सकता है। या किसी को इतना परेशान करना जिससे वो पुरी तरह से आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाए।

आत्महत्या के लिए उकसाना एक अपराध क्यों है?

आत्महत्या करने का फैसला कोई इंसान तब ही लेता है जब वो अपने जीवन में पूरी तरह से टूट चूका हो। ऐसे समय में वो व्यक्ति खुद को बहुत ही कमजोर व लाचार (Weak & Helpless) महसूस करता है। ऐसे में जब कोई व्यक्ति आत्महत्या के लिए उसे उकसाता है, तो वह उस व्यक्ति की कमजोरी का फायदा उठाता है और उस व्यक्ति को मर जाने के उसके निर्णय में मदद करता है। इसीलिए भारतीय कानून के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने वालों को दंडित किया जाता है।

BNS 108 के अपराध का उदाहरण

एक बार अमित नाम का एक स्टूडेंट परीक्षा में फैल हो जाने के बाद बहुत ही निराश महसूस कर रहा था। जिसकी वजह से उसके मन में अपने भविष्य को लेकर बहुत सारी गलत बाते आ रही थी। उसी समय वहाँ पर प्रिया नाम की उसकी एक दोस्त आती है, और अमित उसे अपनी परेशान होने की सारी बात बता देता है। लेकिन प्रिया उसका हौसला बढ़ाने के बजाय उसे और भी निराश करना शुरु कर देती है। उसने कहा कि वह अब अपनी जीवन में कभी भी कुछ हासिल नहीं कर पाएगा और उसे बस अपनी जान ले लेनी चाहिए।

प्रिया की ये बाते सुनकर अमित और भी ज्यादा परेशान हो जाता है, जिसके बाद वो आत्महत्या करने के बारे में सोचने लग जाता है। इसके कुछ ही समय बाद अमित बहुत ही ज्यादा तंग आकर छत से कूदकर आत्महत्या कर लेता है। कुछ दिनों बाद अन्य छात्रों की मदद से पता चलता है कि प्रिया ने ही उसको ऐसा कार्य करने के लिए उकसाया था। जिसके बाद पुलिस के द्वारा प्रिया पर BNS Section 108 के तहत कार्यवाही की जाती है।

BNS Section 108 के तहत कुछ दंडनीय कार्य

  • किसी को आत्महत्या करने के लिए कहना, उसे ऐसा करने के लिए कोई सामान देना या उसे मजबूर करना।
  • जहर, हथियार या इस प्रकार के कार्य को करने का तरीका बताकर सहायता करना।
  • किसी को परेशान करना, गलत सोचने के लिए मजबूर करना, या लगातार आत्महत्या के बारे में सोचने के लिए मजबूर करना।
  • किसी को मानसिक रुप से अपमानित करके या कमजोर बनाकर।
  • कर्ज में डुबोकर या वित्तीय (Financially) रूप से कमजोर बनाकर।
  • मारपीट या शारीरिक नुकसान पहुंचाना जिससे वो ऐसा अपने जीवन को खत्म करने पर मजबूर हो जाए।
  • परिवार और दोस्तों से अलग करके, सामाजिक रूप से अलग करके मजबूर करना।
  • आत्महत्या करने का स्थान या तरीका ढूंढने में मदद करना।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 के अपराध की सजा

बीएनएस की धारा 108 में सजा के प्रावधान (Provision) के लिए बताया गया है, कि यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है। जिसमें बाद में यह साबित हो जाता है कि किसी अन्य व्यक्ति ने उस व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाया है, तो उस व्यक्ति को दस साल तक की कैद और जुर्माना की सजा से दंडित (Punished) किया जा सकता है।

इस प्रकार के अपराध में उकसाने के लिए दोस्त, रिश्तेदार, या कोई भी अन्य व्यक्ति शामिल हो सकता है, जिसने उस व्यक्ति को ऐसा कार्य करने के लिए मजबूर किया हो।

बीएनएस की धारा 108 में जमानत कब और कैसे मिलती है

बीएनएस की धारा 108 के तहत किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए प्रेरित करना या उकसाना एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Crime) होता है। यदि किसी भी व्यक्ति पर इस अपराध के लिए आरोप (Blame) लगते है, तो उस व्यक्ति को पुलिस बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। इसके साथ ही इस अपराध की गंभीरता को देखते हुए गैर-जमानती (Non-Bailable) भी रखा गया है। जिसका मतलब है कि इस अपराध के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को जमानत (Bail) मिलना मुश्किल हो जाता है।

BNS Section 108 के तहत लगे आरोप के खिलाफ बचाव कैसे करें

  1. ऐसे अपराध में यदि आप पर कार्यवाही कि जाती है, तो सबसे पहले आपको किसी वकील (lawyer) की सहायता की आवश्यकता पड़ती है। जो आपके केस को अच्छे से समझकर आपके बचाव के लिए आपकी मदद करेगा।
  2. इसके बाद आपको कैसे भी करके यह साबित करना होगा कि आपका इरादा किसी भी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने या उकसाने का नहीं था।
  3. इसके साथ ही आप को यह भी साबित करना होगा कि आप पर दूसरे पक्ष के द्वारा किसी बात का गलत मतलब निकालकर झूठे आरोप (False Allegations) लगाए गए है।
  4. आप आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के साथ अपने पिछले संबंधों के सबूतों को पेश कर सकते है। जो ये साबित करते हो कि आप ने उस व्यक्ति की हमेशा भलाई के लिए ही सोचा है।
  5. मरने वाले व्यक्ति को पहले से ही अगर कोई मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ थी या वो किसी अन्य व्यक्ति की वजह से परेशान रहता था। लेकिन आरोप आप पर लगाए गए है तो आप कोर्ट में यह सारी बाते बताकर बचाव के लिए अपना पक्ष रख सकते है।
  6. अगर आपके पास कोई ऐसा सबूत है जो ये साबित कर सके कि उस व्यक्ति का आत्महत्या करने का खुद का फैसला था, तो ऐसे सबूत को भी जरुर पेश करें।
  7. अपने वकील पर भरोसा रखे व उनके सभी निर्देशों का पालन करें, अगर आप निर्दोष (Innocent) होंगे तो आप जरुर ऐसे मामलों से बच जाएंगे।

महत्वपूर्ण नोट:- ये सभी बचाव उपाय तभी काम कर सकते है जब आपने सच में कोई अपराध नहीं किया होगा और आपके पास आपके बचाव के लिए सभी सबूत (Evidence) भी होंगे। इसलिए ऐसे मामलों में किसी भी कानूनी कार्यवाही से पहले आपको किसी वकील से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।

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