भारतीय न्याय संहिता की धारा 88 गर्भपात (Miscarriage) के अपराध के बारे में बताती है। यह धारा उन लोगों के बारे में बात करती है जो जानबूझकर किसी महिला का गर्भपात करवाते हैं। गर्भपात का मतलब है कि एक महिला अपने बच्चे को जन्म देने से पहले ही उसको अपने गर्भ से निकाल देती है।क्यों है यह अपराध?
यह एक अपराध इसलिए है क्योंकि:
- यह काम जानबूझकर (Intentionally) किया जाता है, यानी यह कोई गलती नहीं है।
- कई बार महिला अपनी मर्जी से गर्भपात नहीं करवाना चाहती है।
- हर बच्चे को जीने का अधिकार होता है, इसलिए गर्भ में ही किसी बच्चे को जीवन समाप्त कर देना कानून अपराध है।
बीएनएस धारा 88 के तहत अपराध के मुख्य तत्व
- किसी महिला का जानबूझकर गर्भपात कराना इस धारा के तहत अपराध है। इसका मतलब है कि गर्भपात को जानबूझकर और इरादतन (Intentionally) किया गया हो।
- महिला की सहमति से किया गया गर्भपात भी अपराध माना जा सकता है, जब तक कि यह किसी वैध चिकित्सा (Valid Medical) कारण के लिए न किया गया हो।
- गर्भधारण (Pregnancy) का समय भी सजा की गंभीरता को प्रभावित करती है। शुरुआती अवस्था में गर्भपात की तुलना में बाद की अवस्था में अबॉर्शन के लिए अधिक सजा का प्रावधान (Provision) है।
- यदि अबॉर्शन महिला की जान बचाने के लिए किया जाता है, तो यह अपराध नहीं माना जाता है।
धारा 88 के अनुसार गर्भपात के अपराध से संबंधित अन्य कुछ आपराधिक कार्य?
- अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी महिला का Miscarriage करवाता है, तो यह अपराध है।
- भले ही महिला की सहमति हो, लेकिन अगर गर्भपात का कोई वैध चिकित्सा कारण नहीं है, तो यह अपराध माना जा सकता है।
- बिना डॉक्टर की सलाह के कोई ऐसी दवा देना जो गर्भपात करवा सकती है, यह भी अपराध है।
- गर्भपात के लिए इस्तेमाल होने वाले किसी भी उपकरण (Equipment) को देना या बेचना अपराध है।
- अगर कोई व्यक्ति किसी और को अबॉर्शन करवाने में मदद करता है, तो वह भी अपराध का भागीदार होता है।
- अगर कोई व्यक्ति गर्भपात करवाने के लिए किसी जगह को किराए पर देता है या उसका इस्तेमाल करने देता है, तो यह भी अपराध है।
- अगर कोई व्यक्ति गर्भपात के बारे में झूठी या गलत जानकारी देकर किसी को गुमराह (Mislead) करता है, तो यह भी अपराध है।
- अगर कोई व्यक्ति Miscarriage करवाने के बदले में पैसे लेता है, तो यह भी अपराध है।
- अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को डरा धमकाकर या किसी और तरीके से अबॉर्शन करवाने के लिए मजबूर करता है, तो यह भी एक गंभीर अपराध है।
सेक्शन 88 के अपराध का उदाहरण
रिया एक छोटे से शहर में रहती थी। उसकी शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी। वह अभी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई थी और शादी के कुछ महीनों बाद ही उसे पता चला कि वह गर्भवती है। उसके पति और ससुराल वाले बच्चे को नहीं चाहते थे। उन्होंने रिया पर बहुत दबाव डाला कि वह गर्भपात करवा ले। रिया बहुत डरी हुई थी लेकिन उनके दबाव में आकर उसने एक अवैध तरीके से गर्भपात (Abortion) करवा लिया।
रिया ने जो किया वह धारा 88 के तहत अपराध है। भले ही उसने अपनी मर्जी से गर्भपात न करवाया हो, लेकिन उसके पति और ससुराल वालों ने उसे मजबूर किया था। इसके अलावा, मिसकैरेज एक अवैध तरीके से किया गया था जो महिला की जान के लिए खतरा था।
बीएनएस की धारा 88 के तहत गर्भपात की सजा
भारतीय न्याय संहिता में बताए गए अपराध के प्रावधान (Provision) अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी महिला का गर्भपात करवाने (Causing Abortion) का दोषी (Guilty) पाया जाता है तो उसे जेल की सजा हो सकती है। इस अपराध की सजा गर्भावस्था (Pregnancy) के समय के हिसाब से तय होती है कि गर्भपात किस समय किया गया था।
- शुरुआती समय: अगर गर्भपात गर्भावस्था के शुरुआती समय में किया गया तो दोषी व्यक्ति को तीन साल तक की जेल हो सकती है, जुर्माना लग सकता है या दोनों ही सजा हो सकती है।
- बाद का समय: अगर गर्भपात गर्भावस्था के बाद के समय (यानि कई हफ्तों या महीनों बाद) में किया गया है तो दोषी व्यक्ति को सात साल तक की जेल हो सकती है, जुर्माना लग सकता है या दोनों ही सजा (Punishment) हो सकती है।
गर्भपात करवाने पर कब सजा नहीं होती है?
कुछ खास परिस्थितियों में गर्भपात करने पर सजा नहीं होती है। BNS की धारा 88 के तहत, महिला की जान बचाने के लिए किया गया गर्भपात कानूनन जायज (Legally Valid) माना जाता है। इसके अलावा कुछ और स्थितियों में भी मिसकैरेज की अनुमति होती है।
आम तौर पर निम्नलिखित स्थितियों में गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है:-
- महिला की जान को खतरा: अगर गर्भावस्था जारी रहने से महिला की जान को खतरा हो तो गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है।
- गर्भ में विकलांग बच्चे का होना: अगर गर्भ में पल रहे बच्चे को कोई गंभीर विकलांगता (Severe Disability) है और वह जीवन भर बीमार रह सकता है, तो माता-पिता को गर्भपात कराने की अनुमति दी जा सकती है।
- बलात्कार के कारण गर्भावस्था: अगर कोई महिला बलात्कार (Rape) की शिकार हुई है और उसके गर्भ में बच्चा है, तो उसे गर्भपात कराने की अनुमति दी जा सकती है।
भारत में गर्भपात कानून
भारत में गर्भपात कानून, 1971 (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971) के तहत गर्भपात को कुछ खास परिस्थितियों में वैध (Valid) माना जाता है।
इस कानून के अनुसार:–
12 सप्ताह तक: एक डॉक्टर की सलाह से 12 सप्ताह तक का गर्भपात कराया जा सकता है।
12 से 20 सप्ताह तक: दो डॉक्टरों की सलाह से 12 से 20 सप्ताह तक का गर्भपात कराया जा सकता है।
ये परिस्थितियां ऊपर बताई गई स्थितियों के समान हो सकती हैं, जैसे कि महिला की जान को खतरा, गर्भ में विकलांग बच्चे का होना, या बलात्कार के कारण गर्भावस्था।
ध्यान देने योग्य बातें:
गर्भपात के लेकर कानून समय के साथ बदलते रहते हैं। इसलिए किसी भी निर्णय लेने से पहले आपको एक वकील या डॉक्टर (Lawyer Or Doctor) से सलाह लेनी चाहिए। भारत में अलग-अलग राज्यों के अपने अलग-अलग कानून हो सकते हैं, इसलिए आपको अपने राज्य के कानूनों के बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए।
गर्भपात के अपराध की धारा 88 में जमानत का प्रावधान
बीएनएस की धारा 88 के अनुसार गर्भपात के इस अपराध को गैर-संज्ञेय और जमानती (Non-Cognizable Or Bailable) माना जाता है। इसका मतलब है कि पुलिस बिना अदालत के आदेश के इस अपराध के मामले में गिरफ्तारी नहीं कर सकती और आरोपी (Accused) को जमानत (Bail) मिल सकती है। यह अपराध प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।