Wednesday, June 18, 2025

बीएनएस धारा 332 क्या है – सजा और जमानत | BNS 332 in Hindi

BNS की धारा 332 उस स्थिति से संबंधित है जब कोई व्यक्ति किसी घर, इमारत या संपत्ति में बिना उसके मालिक की अनुमति के प्रवेश करता है और उसका इरादा वहां कोई अपराध (Crime) करने का होता है। यह धारा अवैध प्रवेश (Trespass) और आपराधिक मंशा (Criminal Intent) के अपराध को एक साथ बताती है, जिससे यह अपराध और भी गंभीर हो जाता है।

बीएनएस धारा 332 कब लागू होती है?

इस धारा को लागू किए जाने के लिए मुख्य रुप से दो प्रमुख स्थितियां होती हैं:

  1. बिना अनुमति के घर में प्रवेश: जब कोई व्यक्ति किसी घर, इमारत, या संपत्ति में उसके मालिक की अनुमति या कानूनी अधिकार के बिना प्रवेश करता है।
  2. अपराध करने का इरादा: इस अवैध रुप से प्रवेश करने के पीछे उस व्यक्ति की मंशा या उद्देश्य किसी अपराध को अंजाम देना होता है। यह अपराध चोरी, हत्या, या अन्य किसी गैरकानूनी गतिविधि (Illegal Activities) से जुड़ा हो सकता है।

इसके अलावा BNS की सेक्शन 332 को इसकी 3 उपधाराओं (Sub-Sections) के माध्यम से अपराधों की गंभीरता व सजा के अनुसार विस्तार से बताया गया है।

बीएनएस सेक्शन 332 (a) अगर कोई व्यक्ति बिना अनुमति (Permission) के किसी के घर में घुसता है और किसी ऐसे अपराध को करता है या करने का इरादा रखता है जिसकी सजा मृत्युदंड (Capital Punishment) होती है, तो उस व्यक्ति पर धारा 332 (a) के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

उदाहरण: मान लीजिए एक व्यक्ति ने बिना अनुमति के किसी के घर में घुसकर वहां चोरी करने का इरादा किया। उसने देखा कि घर में एक व्यक्ति सो रहा है जिसके बाद वो चोर सोचता है कि अगर सो रहा व्यक्ति उठ गया और उसने चोर को पकड़ लिया गया, तो वह चोर उस व्यक्ति को जान से मार देगा। इस स्थिति में उस व्यक्ति पर IPC की धारा 332 (a) के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है, क्योंकि उसने बिना अनुमति के घुसपैठ की और हत्या (Murder) का इरादा भी किया।

बीएनएस सेक्शन 332 (b) अगर कोई किसी व्यक्ति के घर में घुसकर किसी ऐसे अपराध को अंजाम देता है जिसकी सजा आजीवन कारावास (Life Imprisonment) तक हो सकती है या कोई अन्य गंभीर अपराध करता है तो उस व्यक्ति पर धारा 332(b) के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

बीएनएस सेक्शन 332 (c) यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के घर में बिना उसकी अनुमति के घुसता है और कोई ऐसा अपराध करता है जो कम गंभीर है लेकिन कारावास की सजा से दंडनीय (Punishable) है। तो उस व्यक्ति पर धारा 332 (C ) के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।

BNS 332 में अपराध को साबित करने वाले मुख्य तत्व

भारतीय न्याय संहिता सेक्शन 332 के अपराध को साबित करने के लिए कुछ मुख्य तत्वों का होना आवश्यक है। ये तत्व निम्नलिखित हैं:

  • घर या इमारत में प्रवेश: इस अपराध के लिए इस बात का होना आवश्यक है कि आरोपी ने किसी घर या इमारत में प्रवेश किया हो। इसमें आवासीय घर, कार्यालय, दुकान, गोदाम आदि सभी शामिल हैं। प्रवेश का मतलब केवल अंदर जाना ही नहीं बल्कि किसी हिस्से में घुसना भी हो सकता है।
  • बिना अनुमति: प्रवेश बिना मालिक या उसमें रहने वाले व्यक्ति की अनुमति के होना चाहिए। अनुमति स्पष्ट रूप से दी गई होनी चाहिए।
  • अपराध करने का इरादा: आरोपी का इरादा उस घर या इमारत में कोई अपराध करने का होना चाहिए। यह इरादा स्पष्ट रूप से दिखाया जाना चाहिए। अपराध का प्रकार कोई भी हो सकता है, जैसे चोरी, डकैती, हत्या आदि।

इस धारा के लगने का आपराधिक उदाहरण

एक बार रात के गहरे अंधेरे में राहुल नाम का एक व्यक्ति अपने घर में सो रहा था। तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी। उसने धीरे से आँखें खोलीं और देखा कि एक अजनबी व्यक्ति उसकी खिड़की से अंदर आ रहा है। राहुल डर गया और चुपचाप बिस्तर पर लेट गया। उस अजनबी ने राहुल के कमरे में रखे हुए जेवरात और नकदी को चुराया और फिर खिड़की से बाहर निकल गया।

इस घटना में अजनबी व्यक्ति ने राहुल के घर में बिना उसकी अनुमति के घुसकर चोरी की। इस घटना के अगले दिन राहुल पुलिस में शिकायत देता है। जिसके बाद पुलिस कुछ ही समय बाद उस आरोपी व्यक्ति को पकड़ लेती है, और उसके खिलाफ BNS Section 332 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करती है।

BNS Section 332 के तहत कुछ अन्य आपराधिक कृत्य

  • किसी घर का दरवाजा या खिड़की तोड़कर अंदर जाना।
  • छत के रास्ते से किसी घर में प्रवेश करना।
  • घर की चाबी चुराकर या नकली चाबी बनाकर अंदर जाना।
  • किसी ऊंची खिड़की से चढ़कर घर में प्रवेश करना।
  • दरवाजे को उखाड़कर या तोड़कर अंदर जाना।
  • दीवार या छत में छेद करके अंदर जाना।
  • किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर योजना बनाकर घर में घुसना।
  • घर में रहने वाले व्यक्ति को धमकाकर या डराकर घर में प्रवेश करना।
  • किसी चोरी या अपराध के बाद सामान को घर में छिपाने के लिए घुसना।
  • घर में घुसकर किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाना या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 238 में सजा का प्रावधान

बीएनएस की धारा 332 के तहत सजा (Punishment) को तीन प्रकार से बताया गया है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती हैं।

BNS 332 (a) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति किसी के घर में बिना अनुमति के घुसता है और किसी ऐसे अपराध को करता है जिसकी सजा मृत्यु दंड हो सकती है तो ऐसे अपराध को करने के दोषी (Guilty) पाये जाने पर उस व्यक्ति को 10 साल तक की कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment) की सजा दी जा सकती है।

BNS 332 (b) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति किसी के घर में घुसकर ऐसे अपराध को करता है जिसकी सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है, तो दोषी पाये जाने पर उस व्यक्ति को 10 साल तक की कठोर कारावास व जुर्माने (Fine) की सजा दी जाएगी।

BNS 332 (C) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति किसी के घर में घुसता है और कोई भी कम गंभीर अपराध करता है, तो उसे कारावास (Imprisonment) की सजा दी जाएगी। यह सजा एक निश्चित अवधि के लिए होगी जो आमतौर पर दो साल तक हो सकती है। इसका मतलब है कि दोषी व्यक्ति को दो साल तक जेल में रहना पड़ सकता है।

लेकिन अगर कोई व्यक्ति घर में घुसकर चोरी (Theft) का अपराध करता है, तो सजा की अवधि और भी अधिक हो सकती है। इस स्थिति में कारावास की अवधि सात साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसका मतलब है कि यदि व्यक्ति चोरी करने के इरादे से घर में घुसता है, तो उसे अधिक गंभीर सजा का सामना करना पड़ेगा।

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