BNS की धारा 223 जो सार्वजनिक शांति (Public Peace) और व्यवस्था (Arrangement) बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह धारा किसी लोक सेवक द्वारा जारी किए गए आदेश को ना मानने या अनदेखा करने से संबंधित है।
जब किसी लोक सेवक (जैसे पुलिस अधिकारी, सरकारी अधिकारी) द्वारा कानूनी रुप से कोई आदेश (Order) जारी किया जाता है और सभी व्यक्तियों को यह निर्देश दिया जाता है कि वह एक खास काम न करे या किसी खास संपत्ति (Property) के संबंध में कुछ कदम उठाए, तब उस व्यक्ति को उस आदेश का पालन करना जरूरी होता है। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर उन आदेशों का पालन नहीं करता तो इसे आदेश की अवहेलना (अनादर) कहा जाता है। जिसके लिए धारा 223 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
- बीएनएस धारा 223 का खण्ड (a) इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक के द्वारा दिए गए आदेशों (Orders) को नहीं मानता और उनका उल्लंघन करता है जिसके कारण किसी अन्य व्यक्ति को चोट या असुविधा (injury or discomfort) होती है, तो उस व्यक्ति को खण्ड (Clause) (a) में बताई गई सजा से दंडित (Punished) किया जाता है।
- बीएनएस धारा 223 का खण्ड (b) अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी (Government Officer) के द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन (Violation) करता है जिससे किसी इंसान के जीवन को खतरा (Life Threatening) होता है, या दंगा (Riots) होना की संभावना होती है। तो ऐसे व्यक्ति को धारा 223 के खण्ड (b) में दी गई सजा से दंडित किया जाता है।
धारा 223 के अपराध को साबित करने वाले मुख्य तत्व
- लोक सेवक: आदेश देने वाला व्यक्ति एक लोक सेवक यानि सरकारी अधिकारी (Govt. Officer) होना चाहिए, जैसे कि पुलिस अधिकारी, नगर निगम का अधिकारी, या कोई अन्य सरकारी अधिकारी।
- वैध आदेश: आदेश कानून के अनुसार होना चाहिए और सार्वजनिक हित (Public Interest) में जारी किया गया होना चाहिए।
- जानबूझकर अवहेलना: किसी व्यक्ति द्वारा कानूनी आदेशों की अवहेलना जानबूझकर करनी चाहिए। यानी उसे पता होना चाहिए कि वह क्या कर रहा है और वह आदेश का पालन करने से इनकार कर रहा है।
- दंगा या सार्वजनिक शांति भंग का खतरा: हालांकि यह आवश्यक नहीं है, लेकिन यदि आदेश को ना मानने के परिणामस्वरूप दंगा या सार्वजनिक शांति भंग होने का खतरा उत्पन्न होता है, तो यह अपराध और अधिक गंभीर हो जाता है।
बीएनएस की धारा 223 के अपराध के समझने के लिए एक उपयोगी उदाहरण
एक शहर में हर साल एक बड़ा धार्मिक जुलूस निकाला जाता था। इस बार प्रशासन ने कुछ सड़कों पर जुलूस को जाने से रोकने के लिए आदेश जारी किया था। यह आदेश लोक सेवक अमित द्वारा दिया गया था। उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया था क्योंकि उस क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव का खतरा था और वहां से जुलूस निकलने से शांति भंग हो सकती थी।
प्रदीप जो इस जुलूस को करवा रहे थे उन्हें भी इस आदेश के बारे में जानकारी दी गई थी। लेकिन प्रदीप ने जानबूझकर इस आदेश को अनदेखा करने का फैसला किया। उसने जुलूस को उसी सड़क से निकालने का निर्देश दिया, जहां से गुजरने पर प्रतिबंध था।
प्रदीप की इस अवहेलना के कारण जुलूस जैसे ही प्रतिबंधित सड़क पर पहुंचा, वहां सांप्रदायिक तनाव (Communal tension) भड़क उठा। लोगों के बीच विवाद हुआ और हालात गंभीर हो गए। दंगे (Riots) का माहौल बनने लगा, और प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। जिसके बाद प्रदीप पर BNS Section 223 के तहत कार्यवाही की गई।
BNS Section 223 के अपराध से जुड़े कुछ कार्य
- जब सरकार कोई आपातकालीन स्थिति (Emergency Situation) घोषित करती है और लोगों को घर पर रहने का आदेश देती है, तो इसे तोड़ना भी इस धारा के तहत अपराध है।
- अगर पुलिस कोई कानून व्यवस्था (Law & Order) बनाए रखने के लिए कोई आदेश देती है और आप उसकी अवहेलना करते हैं, तो यह अपराध है।
- अगर किसी सार्वजनिक जगह (Public Places) पर, जैसे कि अस्पताल या लाइब्रेरी में, आप बहुत ज्यादा शोर मचाते हैं और किसी को परेशान करते हैं, तो यह भी इस धारा के तहत आ सकता है।
- अगर आप जानबूझकर किसी सार्वजनिक संपत्ति, जैसे कि बस स्टॉप या पार्क को नुकसान पहुंचाते हैं, तो यह भी अपराध है।
- अगर आप किसी धरना प्रदर्शन के दौरान हिंसक होते हैं या अन्य लोगों को हिंसा (Violence) के लिए उकसाते हैं, तो यह भी इस धारा के तहत आ सकता है।
- कोरोना जैसी महामारी के दौरान जारी किए गए निर्देशों को न मानना जैसे कि मास्क न पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करना।
- अगर आप किसी सरकारी अधिकारी को धमकाते हैं या उसके काम में बाधा डालते हैं।
- बिना किसी वैध कारण के सार्वजनिक स्थान पर हथियार (Weapon) लेकर घूमना।
बीएनएस धारा 223 में सरकारी आदेशों को ना मानने के दोषी को कितनी सजा होती है
बीएनएस सेक्शन 223 के उल्लंघन (Violation) पर सजा का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि चोट या नुकसान कितना गंभीर है। आइए इसे विस्तार से और सरल भाषा में समझते हैं:
- BNS 223 (a):- अगर किसी व्यक्ति द्वारा सरकारी आदेशों को ना मानने के कारण किसी अन्य व्यक्ति को असुविधा, परेशानी या चोट लगती है, या इसका खतरा पैदा होता है, तो ऐसे व्यक्ति को अधिकतम 6 महीने तक के साधारण कारावास (जेल) की सजा दी जा सकती है। इसके साथ-साथ 2,500 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है, या दोनों सजा हो सकती हैं।
- BNS 223 (b):- अगर आदेश का उल्लंघन करने से मानव जीवन, स्वास्थ्य, या सुरक्षा को खतरा हो, या इससे दंगा या झगड़ा पैदा हो, तो ऐसे व्यक्ति को अधिकतम 1 वर्ष तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा 5,000 रुपये तक का जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है, या दोनों सजा हो सकती हैं।